क्यों हर रोज नयी मुसीबत का बहाना ढूँढते हो अपने | हिंदी शायरी

"क्यों हर रोज नयी मुसीबत का बहाना ढूँढते हो अपने ही घर से निकलकर नया ठिकाना ढूँढते हो तुम्हारे ही अन्दर तो रहता है वो शख़्स तुम्हारे जैसा और तुम उसे पाने के लिये सारा जमाना ढूँढते हो ©Amit kothari"

 क्यों हर रोज  नयी मुसीबत का बहाना  ढूँढते हो
अपने ही घर से निकलकर नया ठिकाना ढूँढते हो
तुम्हारे ही अन्दर तो रहता है वो शख़्स तुम्हारे जैसा
और तुम उसे पाने के लिये सारा जमाना ढूँढते हो

©Amit kothari

क्यों हर रोज नयी मुसीबत का बहाना ढूँढते हो अपने ही घर से निकलकर नया ठिकाना ढूँढते हो तुम्हारे ही अन्दर तो रहता है वो शख़्स तुम्हारे जैसा और तुम उसे पाने के लिये सारा जमाना ढूँढते हो ©Amit kothari

हर किसी को तलाश है किसी अपने जैसे की 🙃

#findingyourself

@Divya Joshi
I.A.S dreamerneha 🌟 Nñ..Radha..Singh..Rajput @deepti @B Ravan Prajakta Pawar

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