मुस्कुरा भर देने से उनके, सारे दर्द हील हो जाना,
जो कहना चाहते है, आंखों से फील हो जाना!
जब बढ़ना हो धुंआधार बन जाना नदी,
थमना हो कहीं तो फिर झील हो जाना!
रखना शख्सियत पर्वत सी, छूना बादलों को,
समंदर समेटने का माद्दा लिए, साहिल हो जाना।
मार्गदर्शक की भूमिका में बन जाना सबके कृष्ण,
प्रेम निभाने किसी रोज दोस्त में तब्दील हो जाना।
चढ़के आसमान पर भी, इश्क़ ज़मीं से करना,
बनाना ख़ुद की राह, फिर ख़ुद मंज़िल हो जाना।
मस्तिष्कों, भुजाओं के शौर्य से संचित धरती पर,
मोहब्बत और करुणा से भरा एक दिल हो जाना।
कोशिश लाख करेगा ज़माना, हो नहीं पाएगा,
आसान नहीं है दुनिया में, सुनिल हो जाना।
जन्मदिन मुबारक सुनिल सर 🤗❣️
©दशरथ
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