दशरथ

दशरथ Lives in Mumbai, Maharashtra, India

एक प्यार का नगमा हूँ

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मुस्कुरा भर देने से उनके, सारे दर्द हील हो जाना, जो कहना चाहते है, आंखों से फील हो जाना! जब बढ़ना हो धुंआधार बन जाना नदी, थमना हो कहीं तो फिर झील हो जाना! रखना शख्सियत पर्वत सी, छूना बादलों को, समंदर समेटने का माद्दा लिए, साहिल हो जाना। मार्गदर्शक की भूमिका में बन जाना सबके कृष्ण, प्रेम निभाने किसी रोज दोस्त में तब्दील हो जाना। चढ़के आसमान पर भी, इश्क़ ज़मीं से करना, बनाना ख़ुद की राह, फिर ख़ुद मंज़िल हो जाना। मस्तिष्कों, भुजाओं के शौर्य से संचित धरती पर, मोहब्बत और करुणा से भरा एक दिल हो जाना। कोशिश लाख करेगा ज़माना, हो नहीं पाएगा, आसान नहीं है दुनिया में, सुनिल हो जाना। जन्मदिन मुबारक सुनिल सर 🤗❣️ ©दशरथ

#कविता #boat  मुस्कुरा भर देने से उनके, सारे दर्द हील हो जाना,
जो कहना चाहते है, आंखों से फील हो जाना!
जब बढ़ना हो धुंआधार बन जाना नदी, 
थमना हो कहीं तो फिर झील हो जाना!
रखना शख्सियत पर्वत सी, छूना बादलों को, 
समंदर समेटने का माद्दा लिए, साहिल हो जाना। 
मार्गदर्शक की भूमिका में बन जाना सबके कृष्ण,
प्रेम निभाने किसी रोज दोस्त में तब्दील हो जाना। 
चढ़के आसमान पर भी, इश्क़ ज़मीं से करना,
बनाना ख़ुद की राह, फिर ख़ुद मंज़िल हो जाना। 
मस्तिष्कों, भुजाओं के शौर्य से संचित धरती पर,
मोहब्बत और करुणा से भरा एक दिल हो जाना। 
कोशिश लाख करेगा ज़माना, हो नहीं पाएगा,
आसान नहीं है दुनिया में, सुनिल हो जाना।

जन्मदिन मुबारक सुनिल सर 🤗❣️

©दशरथ

#boat

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आज मौसम ने नज़ाकत की चादर ओढ़ी हुई है, हमने अपनी सांसें तुम्हारे भरोसे छोड़ी हुई है, उस रोज़ मोहब्बत में एक साथ जो लिक्खी थी, रफ कॉपी के पन्नों में हमने वो गज़ल मोड़ी हुई है। - दशरथ ©दशरथ

#शायरी #leaf  आज मौसम ने नज़ाकत की चादर ओढ़ी हुई है,
हमने अपनी सांसें तुम्हारे भरोसे छोड़ी हुई है,
उस रोज़ मोहब्बत में एक साथ जो लिक्खी थी,
रफ कॉपी के पन्नों में हमने वो गज़ल मोड़ी हुई है।

- दशरथ

©दशरथ

#leaf

7 Love

#शायरी  आज मौसम ने नज़ाकत की चादर ओढ़ी हुई है,
हमने अपनी सांसें तुम्हारे भरोसे छोड़ी हुई है,
उस रोज़ मोहब्बत में एक साथ जो लिक्खी थी,
रफ कॉपी के पन्नों में हमने वो गज़ल मोड़ी हुई है।

©दशरथ

आज मौसम ने नज़ाकत की चादर ओढ़ी हुई है, हमने अपनी सांसें तुम्हारे भरोसे छोड़ी हुई है, उस रोज़ मोहब्बत में एक साथ जो लिक्खी थी, रफ कॉपी के पन्नों में हमने वो गज़ल मोड़ी हुई है। ©दशरथ

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अब अतार्किक बातें सुनकर, लोगों की बेवकूफियां देखकर, लोगों की उल्टी हरकते देखकर, जानबूझकर की गई गलतियां देखकर, लोगों के असली रूप को देखकर, मुखौटों के पीछे स्पष्टता देखकर, लोगों को सफेद झूठ बोलते हुए, नाटक करते हुए देखकर, बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आता। दुख होता है और दया आती है बस। ©दशरथ

#विचार #Streetlight  अब अतार्किक बातें सुनकर, लोगों की बेवकूफियां देखकर, लोगों की उल्टी हरकते देखकर, जानबूझकर की गई गलतियां देखकर, लोगों के असली रूप को देखकर, मुखौटों के पीछे स्पष्टता देखकर, लोगों को सफेद झूठ बोलते हुए, नाटक करते हुए देखकर, बिल्कुल भी गुस्सा नहीं आता।
 दुख होता है और दया आती है बस।

©दशरथ

इंसान कभी नहीं बदलते हैं। बस बेनक़ाब हो जाते हैं। ©दशरथ

#शायरी #doubleface  इंसान कभी नहीं बदलते हैं। 
बस बेनक़ाब हो जाते हैं।

©दशरथ

#doubleface नक़ाब

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जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं! प्रेम गली अति सांकरी, जामे दो ना समाही। जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं! सब अँधियारा मिट गया, देखा दीपक माही! - कबीर ©दशरथ

#कविता #rays  जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं!
प्रेम गली अति सांकरी, जामे दो ना समाही।

जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाहीं!
सब अँधियारा मिट गया, देखा दीपक माही!

- कबीर

©दशरथ

#rays

7 Love

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