थक चुकी हूं मां इन दरिंदो से मां मेरा कसूर क्या | हिंदी शायरी

"थक चुकी हूं मां इन दरिंदो से मां मेरा कसूर क्या था ये सवाल आज फिर दिल में दहल उठा है... खुदा से आस थी पर शायद आज वो भी मेरी किस्मत से रूठा है... पापा आप ने चुना है तो ये गलती फिर कैसे हुई .... ये आपका बनाया अटुट रिश्ता आज कैसे इस कदर टुटा है..."

 थक चुकी हूं मां इन दरिंदो से

 मां मेरा कसूर क्या था ये सवाल आज फिर दिल में दहल उठा है...
खुदा से आस थी पर शायद आज वो भी मेरी किस्मत से रूठा है...
पापा आप ने चुना है तो ये गलती फिर कैसे हुई ....
ये आपका बनाया अटुट रिश्ता आज कैसे इस कदर टुटा है...

थक चुकी हूं मां इन दरिंदो से मां मेरा कसूर क्या था ये सवाल आज फिर दिल में दहल उठा है... खुदा से आस थी पर शायद आज वो भी मेरी किस्मत से रूठा है... पापा आप ने चुना है तो ये गलती फिर कैसे हुई .... ये आपका बनाया अटुट रिश्ता आज कैसे इस कदर टुटा है...

थक चुकी हूं मां इन दरिंदो से

मेरा कसूर क्या था ये सवाल आज फिर दिल में दहल उठा है...
खुदा से आस थी पर शायद आज वो भी मेरी किस्मत से रूठा है...
पापा आप ने चुना है तो ये गलती फिर कैसे हुई ....
ये आपका बनाया अटुट रिश्ता आज कैसे इस कदर टुटा है...#duniyadari

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