हमारी वो पहली मुलाक़ात
आज भी याद है मुझे
गर्मी का अलसाया मौसम और संध्या का समय
छत की ओट से तुम्हारा मुझे छुपकर देखना
मैंने भी तुम्हें देख लिया था
और मैंने शर्म से अपनी दृष्टि झुका ली थी
लेकिन तुम्हारा यूं अनवरत देखना
मुझे भी प्रेम पाश में बांधे जा रहा था
मैंने भी पढ़ लिया था तुम्हारे प्रेम की भाषा तुम्हारी आँखों में
और मन ही मन सहजता से स्वीकार भी कर लिया था तुम्हें
आज हम जीवन भर के लिए साथ हैं
लेकिन आज भी वो पहली मुलाक़ात स्मृति में है
©Richa Dhar
#loversday लघु कथा