White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उत | हिंदी कविता

"White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उतना ही कठिन है। कहते हैं, कोई भेदभाव नहीं है हमारे समाज के अंदर । पर देखो ना, यहां तो पत्थर से बने हुए दो भवनों में भी अंतर है । एक को समाज घर समझ लेता है ,तो दूसरे को मंदिर । मुझे तो हर चीज में भेदभाव नजर आता है। हरी घास में ,हरे पेड़ों में ,सुंदर से खिले हुए फूलों में । यहां तक कि इंसान के पैदा किए हुए छोटे-छोटे बच्चों में भी । प्रकृति के दिए हुए सुंदर से जल में भी यहां भेदभाव ही किया जाता है। देखो ना कैसे बांट दिया है इंसान ने हर एक चीज को। कहते हैं कि मानव जीवन को सुलझा हुआ होना चाहिए । जब उलझे समाज में मानव पैदा होगा, तो सोचो उसका जीवन कैसे सुलझेगा। ©Negi Girl Kammu"

 White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उतना ही कठिन है।

 कहते हैं, कोई भेदभाव नहीं है हमारे समाज के अंदर ।

पर देखो ना, यहां तो पत्थर से बने हुए दो भवनों में भी अंतर है ।

एक को समाज घर समझ लेता है ,तो दूसरे को मंदिर  ।

 मुझे तो हर चीज में भेदभाव नजर आता है।

 हरी घास में ,हरे पेड़ों में ,सुंदर से खिले हुए फूलों में ।

 यहां तक कि इंसान के पैदा किए हुए छोटे-छोटे बच्चों में भी ।

प्रकृति के दिए हुए सुंदर से जल में भी यहां भेदभाव ही किया जाता है।

 देखो ना कैसे बांट दिया है इंसान ने हर एक चीज को।

कहते हैं कि मानव जीवन को सुलझा हुआ होना चाहिए ।

जब उलझे समाज में मानव पैदा होगा, तो सोचो उसका जीवन कैसे सुलझेगा।

©Negi Girl Kammu

White समाज सुनने में जितना ही सरल है ,समझने में उतना ही कठिन है। कहते हैं, कोई भेदभाव नहीं है हमारे समाज के अंदर । पर देखो ना, यहां तो पत्थर से बने हुए दो भवनों में भी अंतर है । एक को समाज घर समझ लेता है ,तो दूसरे को मंदिर । मुझे तो हर चीज में भेदभाव नजर आता है। हरी घास में ,हरे पेड़ों में ,सुंदर से खिले हुए फूलों में । यहां तक कि इंसान के पैदा किए हुए छोटे-छोटे बच्चों में भी । प्रकृति के दिए हुए सुंदर से जल में भी यहां भेदभाव ही किया जाता है। देखो ना कैसे बांट दिया है इंसान ने हर एक चीज को। कहते हैं कि मानव जीवन को सुलझा हुआ होना चाहिए । जब उलझे समाज में मानव पैदा होगा, तो सोचो उसका जीवन कैसे सुलझेगा। ©Negi Girl Kammu

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