White उदित हुआ है प्रभाकर
नई आशाओं के साथ
चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे
मिला दे हाथों में हाथ
चल उठ तुझे उठना है
यूं ना हारकर बैठ कभी
गगन तुझे बुला रहा है
चिंताओं की गठरी फेंक दे अभी
तू है तेरा सहारा
बात ये ध्यान में रखना
बहोत देख चुके हो औरों को
कभी अपने अंदरवाले को भी देखना
खोल आँखें..
जिंदगी बुला रही है
तुझे तेरा होने के लिए ही
जिंदगी पुकार रही है.....
मी माझी.....
©Sangeeta Kalbhor
#SunSet उदित हुआ है प्रभाकर
नई आशाओं के साथ
चूपचाप क्यूँ बैठा है बंदे
मिला दे हाथों में हाथ
चल उठ तुझे उठना है
यूं ना हारकर बैठ कभी
गगन तुझे बुला रहा है