मौत हूँ मैं
................का शेष भाग..........
क्योंकि देख मौत हूँ मैं,
अधर्मी के लिए खौफ हूँ मैं।
बेगुनाह भी चपेट में आते,
पर क्या करूँ मौत हूँ मैं।
मुझे खुद का धर्म निभाना है,
यमराज तक तो ले जाना है।
तत्पश्चात न्याय वो ही करेंगे,
जो किये तूने तेरे कर्म कहेंगे।
जो की अटल सत्य है,
यही तो उचित कथ्य है।
मुझसे न पीछा छूटेगा,
आखिर तू भी टूटेगा।
जीवन सरल यदि जिओगे,
मुझसे भी बेखौफ़ रहोगे।
जीवन भी यह सुखद रहेगा,
धारा प्रवाह ही यह बहेगा।
मैं तो मौत हूँ मेरा काम है आना,
पर अकाल मृत्यु से तुम बचोगे।
ईश्वर की बात को अगर है माना,
फिर क्यों तुम अब मुझसे डरोगे।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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............का शेष भाग प्रस्तुत है...........
क्योंकि देख मौत हूँ मैं,
अधर्मी के लिए खौफ हूँ मैं।
बेगुनाह भी चपेट में आते,
पर क्या करूँ मौत हूँ मैं।