कितना तुम्हे , कैसे तुम्हें, क्यों चाहते ह | हिंदी Shayari

"कितना तुम्हे , कैसे तुम्हें, क्यों चाहते हैं हम, बात तुम सुनती नहीं हो , कहते नही है हम, छुपा रख्खे अपनी आंख में हमने भी आंसू पर, रहते है किसी के इंतजार में , रोते नहीं है हम, है क्या खुशी क्या गम कहे , बातें पुरानी हो गयी, सब कुछ सहज लगने लगा , जब से लुटे हैं हम, दिल में मेरे,बाद तेरे,एक सन्नाटा अजब सा छा गया, मुझमें वही रहता है अब , रहते नहीं हैं हम, महसूस हो अपना जहाँ बस, दिल को समझमें को, एक दर्द है , एक - दूसरे से, कह रहें हैं हम, ©Abhishek Shukla"

 कितना   तुम्हे , कैसे  तुम्हें,   क्यों  चाहते   हैं  हम, 
बात  तुम   सुनती   नहीं  हो , कहते  नही  है  हम, 

छुपा  रख्खे  अपनी  आंख  में  हमने भी आंसू पर, 
रहते  है  किसी  के  इंतजार  में , रोते  नहीं  है हम, 

है  क्या  खुशी क्या  गम  कहे , बातें पुरानी हो गयी, 
सब  कुछ  सहज  लगने  लगा , जब  से लुटे हैं हम, 

दिल में मेरे,बाद तेरे,एक सन्नाटा अजब सा छा गया, 
मुझमें   वही   रहता   है   अब , रहते  नहीं   हैं   हम, 

महसूस हो अपना जहाँ बस, दिल को समझमें को, 
एक   दर्द   है ,  एक  -  दूसरे  से,  कह  रहें  हैं  हम,

©Abhishek Shukla

कितना तुम्हे , कैसे तुम्हें, क्यों चाहते हैं हम, बात तुम सुनती नहीं हो , कहते नही है हम, छुपा रख्खे अपनी आंख में हमने भी आंसू पर, रहते है किसी के इंतजार में , रोते नहीं है हम, है क्या खुशी क्या गम कहे , बातें पुरानी हो गयी, सब कुछ सहज लगने लगा , जब से लुटे हैं हम, दिल में मेरे,बाद तेरे,एक सन्नाटा अजब सा छा गया, मुझमें वही रहता है अब , रहते नहीं हैं हम, महसूस हो अपना जहाँ बस, दिल को समझमें को, एक दर्द है , एक - दूसरे से, कह रहें हैं हम, ©Abhishek Shukla

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