जी लूँ जीवन
कभी ये मीठा
कभी कड़वा सा
बन साक्षी देखूँ
पल-पल इसमें
बदलता क्या,,,,,,
नीरस को भी
रस मैं मानूँ
दूजों से पहले
ख़ुद को ही जानूँ,,,,,
भीग लूँ
आंनद सागर के
अविरल प्रेम में
छू आऊँ अम्बर
लौट आऊँ फिर
धरती की गोद में,,,,,
लगाऊँ डुबकी
संतोष के सिंधु में
बन जाऊँ
मजबूत चट्टान
करूं टक्कर
अवगुणों की लहरों से,,,,,,,
पूजा मेहरा
#manzil