गिरे हुओं के भी साथ रह कर गिरा नहीं है वो शख़्स थो | हिंदी Shayari

"गिरे हुओं के भी साथ रह कर गिरा नहीं है वो शख़्स थोड़ा सा नकचड़ा हैं बुरा नहीं है जो उसके घर की सब दावतों में शरीख हैं पर यों कह रहे है वो जो फलां है मेरा नहीं है वो देखते है के पाँव छालों, से भर गया है यूं तो किसी ने ,ये मेरा जूता सिला नहीं है वो जो दरख्तो को काट लाए क्या जानते है कि उसकी जड़ में लगा पसीना मरा नहीं है इक ऐसी गुल्लक भरी हुई में ,यूं ही लबालब बस एक गम है, कि एक सिक्का खरा नहीं है तमाम हाथों ने ली हुई है मशाल ए गम भी यूं कह रहे है तुम्हारा गम कुछ बड़ा नहीं है ©Dev Sharma"

 गिरे हुओं के भी साथ रह कर गिरा नहीं है
वो शख़्स थोड़ा सा नकचड़ा हैं बुरा नहीं है

जो उसके घर की सब दावतों में शरीख हैं पर
यों कह रहे है वो जो फलां है मेरा नहीं है

वो देखते है के पाँव छालों, से भर गया है
यूं तो किसी ने ,ये मेरा जूता सिला नहीं है

वो जो दरख्तो को काट लाए क्या जानते है
कि उसकी जड़ में लगा पसीना मरा नहीं है

इक ऐसी गुल्लक भरी हुई में ,यूं ही लबालब
बस एक गम है, कि एक सिक्का खरा नहीं है

तमाम हाथों ने ली हुई है मशाल ए गम भी
यूं कह रहे है तुम्हारा गम कुछ बड़ा नहीं है

©Dev Sharma

गिरे हुओं के भी साथ रह कर गिरा नहीं है वो शख़्स थोड़ा सा नकचड़ा हैं बुरा नहीं है जो उसके घर की सब दावतों में शरीख हैं पर यों कह रहे है वो जो फलां है मेरा नहीं है वो देखते है के पाँव छालों, से भर गया है यूं तो किसी ने ,ये मेरा जूता सिला नहीं है वो जो दरख्तो को काट लाए क्या जानते है कि उसकी जड़ में लगा पसीना मरा नहीं है इक ऐसी गुल्लक भरी हुई में ,यूं ही लबालब बस एक गम है, कि एक सिक्का खरा नहीं है तमाम हाथों ने ली हुई है मशाल ए गम भी यूं कह रहे है तुम्हारा गम कुछ बड़ा नहीं है ©Dev Sharma

#Life

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