White खो देने के डर से खुद को संभालते रहे। पता न च | हिंदी शायरी

"White खो देने के डर से खुद को संभालते रहे। पता न चला खुद को पहले से खो बैठे थे।। बिछड़ने के डर से फासलें घटाते गए, पता न था की हम कभी मिले ही न थे।। क्या खोना क्या अब बिछड़ना, जब सब पहले से तय था। नाम का हम बस नदियां बहा रहे थे, बाकी समंदर से नाता हमारा तक़दीर था।। ©BINOदिनी"

 White खो देने के डर से खुद को संभालते रहे।
पता न चला खुद को पहले से खो बैठे थे।।
बिछड़ने के डर से फासलें घटाते गए,
पता न था की हम कभी मिले ही न थे।।
क्या खोना क्या अब बिछड़ना,
जब सब पहले से  तय था।
नाम का हम बस नदियां बहा रहे थे,
बाकी समंदर से नाता हमारा तक़दीर था।।

©BINOदिनी

White खो देने के डर से खुद को संभालते रहे। पता न चला खुद को पहले से खो बैठे थे।। बिछड़ने के डर से फासलें घटाते गए, पता न था की हम कभी मिले ही न थे।। क्या खोना क्या अब बिछड़ना, जब सब पहले से तय था। नाम का हम बस नदियां बहा रहे थे, बाकी समंदर से नाता हमारा तक़दीर था।। ©BINOदिनी

#milan_night

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