मुझमें मज़ा ढूंढने वालों, मेरे जिस्म को नोचने वाल | हिंदी शायरी

"मुझमें मज़ा ढूंढने वालों, मेरे जिस्म को नोचने वालों. दिमाग़ में है क्यूँ इतनी हलचल, हद से ज़्यादा सोचने वालों. इतना ख़ूबसूरत होना भी ठीक नहीं, मुझे अपनी तरफ़ खींचने वालों. ढलेगी उम्र तो पेशा बदलना पड़ेगा, पैसों की ख़ातिर बदन बेचने वालों. - Ankit dhyani ©Ankit Dhyani"

 मुझमें मज़ा ढूंढने वालों, 
मेरे जिस्म को नोचने वालों.

दिमाग़ में है क्यूँ इतनी हलचल,
हद से ज़्यादा सोचने वालों.

इतना ख़ूबसूरत होना भी ठीक नहीं, 
मुझे अपनी तरफ़ खींचने वालों.

ढलेगी उम्र तो पेशा बदलना पड़ेगा, 
पैसों की ख़ातिर बदन बेचने वालों.

- Ankit dhyani

©Ankit Dhyani

मुझमें मज़ा ढूंढने वालों, मेरे जिस्म को नोचने वालों. दिमाग़ में है क्यूँ इतनी हलचल, हद से ज़्यादा सोचने वालों. इतना ख़ूबसूरत होना भी ठीक नहीं, मुझे अपनी तरफ़ खींचने वालों. ढलेगी उम्र तो पेशा बदलना पड़ेगा, पैसों की ख़ातिर बदन बेचने वालों. - Ankit dhyani ©Ankit Dhyani

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