मिले थे एक दिन हम कुछ किताबें साथ लेकर,
तुम्हारे कोरे पन्ने और कलम हम हाथ लेकर,
लिखी है धीरे धीरे एक एक कर के जो हमने,
उड़ो तुम दूर अंबर तक वो हर एक बात लेकर।
करेंगे याद तुमको क्लास, कुर्सी, चाक, डस्टर,
तुम्हारा खेलना, लड़ना, झगड़ना, दौड़ना हंसकर,
ये पानी की टंकी, ये मैदान का झूला, शरारत से टूटी हुई खिड़कियाँ भी,
हँसेंगे अकेले तेरी याद लेकर।
ये जो आज देने को तुम जा रहे हो,
ये जिससे अभी तुम यूँ घबरा रहे हो,
नहीं है ये असली लड़ाई डरो मत,
है लड़ना अभी वक्त हालात लेकर।
सफलता की अनुपम कहानी बनो तुम,
उदाहरणों सी ज़िंदगानी बनो तुम,
हमारी दुआ प्रार्थना साथ ले लो,
करो रौशनी तुम 'दिया' हाथ लेकर।।
©words by Diya
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