बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से
मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी
घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में
मेरी गाड़ी ही छूट गई उसको देखने के चक्कर में
©Poet Kuldeep Singh Ruhela
बड़ी मुद्दत के बाद देखा था उसको बड़ी गौर से
मालूम न था वो भी मेरे इंतजार मे थी
घड़ी दो घड़ी देखता उस कमबख्त को में
मेरी गाड़ी ही छूट गई उसको देखने के चक्कर में