नजर वो‌ मेरे जिस्म पर गढ़ाए रखता है बात मुझ से वो

"नजर वो‌ मेरे जिस्म पर गढ़ाए रखता है बात मुझ से वो मुहब्बत की करता है नजर उसकी मेरे ढकें अंगो पर होती हैं बेमन‌ से तारीफ़ वो मेरे चेहरा करता है मुझ से बोलता है बात न‌ करना लड़कों से खुद वो‌ दो चार लड़कियों के साथ घुमता है कहता है पंसद है मुझे traditional dress मुझे छोटे कपड़ों में आने को बोलता है खुद के घर के आबरू का पूरा ध्यान है दूसरों की आबरू पर मुंह मरता फिरता है वो कहता है मैं उसके दिल की धड़कन हूं हर वक्त बात वो मुझ से जिस्म की करता है अपनी बहन अकेले बाहर नहीं जा सकतीं हैं मुझे प्यार का बहाना कर मिलने को बुलाता है वो कहता है मुझ से प्यार बहुत हैं उसको वो मेरे जिस्म को बातों से नंगा करता है और आ गया वो एक रात मेरे कमरे में रोकती हूं उसे घर की इज्जत का वस्ता देकर वो मुहब्बत का नाम ले इज्जत तार तार करता है और बीत गए जब कुछ दिन इस बात को हुएं फिर मैंने पूछा उससे शादी कब कर रहे हो मुझ से वो अंजान बन कर बस मुझे घूरता रहा और दो लफ्जों में पूछा उसने"कौन हो तुम"? ये लफ्ज सुन मैं वहीं खड़ी सोचने लगी इस ज़माने में क्या इसे ही मुहब्बत कहते हैं जिस्म से शुरू होकर जिस्म पर खत्म हो जाना ..!! ✍️श्रेया "सोनल""

 नजर वो‌ मेरे जिस्म पर गढ़ाए रखता है 
बात मुझ से वो मुहब्बत की करता है 
नजर उसकी मेरे ढकें अंगो पर होती हैं
बेमन‌ से तारीफ़ वो मेरे चेहरा करता है 
मुझ से बोलता है बात न‌ करना लड़कों से
खुद वो‌ दो चार लड़कियों के साथ घुमता है
कहता है पंसद है मुझे traditional dress
मुझे छोटे कपड़ों में आने को बोलता है
खुद के घर के आबरू का पूरा ध्यान है
दूसरों की आबरू पर मुंह मरता फिरता है
वो कहता है मैं उसके दिल की धड़कन हूं
 हर वक्त बात वो मुझ से जिस्म की करता है
अपनी बहन अकेले बाहर नहीं जा सकतीं हैं
मुझे प्यार का बहाना कर मिलने को बुलाता है
वो कहता है मुझ से प्यार बहुत हैं उसको
वो मेरे जिस्म को बातों से नंगा करता है 
और आ गया वो एक रात मेरे कमरे में 
रोकती हूं उसे घर की इज्जत का वस्ता देकर
वो मुहब्बत का नाम ले इज्जत तार तार करता है
और बीत गए जब कुछ दिन इस बात को हुएं
फिर मैंने पूछा उससे शादी कब कर रहे हो मुझ से
वो अंजान बन कर बस मुझे घूरता रहा 
और दो लफ्जों में पूछा उसने"कौन हो तुम"?
ये लफ्ज सुन मैं वहीं खड़ी सोचने लगी
इस ज़माने में क्या इसे ही मुहब्बत कहते हैं 
जिस्म से शुरू होकर जिस्म पर खत्म हो जाना ..!!

✍️श्रेया "सोनल"

नजर वो‌ मेरे जिस्म पर गढ़ाए रखता है बात मुझ से वो मुहब्बत की करता है नजर उसकी मेरे ढकें अंगो पर होती हैं बेमन‌ से तारीफ़ वो मेरे चेहरा करता है मुझ से बोलता है बात न‌ करना लड़कों से खुद वो‌ दो चार लड़कियों के साथ घुमता है कहता है पंसद है मुझे traditional dress मुझे छोटे कपड़ों में आने को बोलता है खुद के घर के आबरू का पूरा ध्यान है दूसरों की आबरू पर मुंह मरता फिरता है वो कहता है मैं उसके दिल की धड़कन हूं हर वक्त बात वो मुझ से जिस्म की करता है अपनी बहन अकेले बाहर नहीं जा सकतीं हैं मुझे प्यार का बहाना कर मिलने को बुलाता है वो कहता है मुझ से प्यार बहुत हैं उसको वो मेरे जिस्म को बातों से नंगा करता है और आ गया वो एक रात मेरे कमरे में रोकती हूं उसे घर की इज्जत का वस्ता देकर वो मुहब्बत का नाम ले इज्जत तार तार करता है और बीत गए जब कुछ दिन इस बात को हुएं फिर मैंने पूछा उससे शादी कब कर रहे हो मुझ से वो अंजान बन कर बस मुझे घूरता रहा और दो लफ्जों में पूछा उसने"कौन हो तुम"? ये लफ्ज सुन मैं वहीं खड़ी सोचने लगी इस ज़माने में क्या इसे ही मुहब्बत कहते हैं जिस्म से शुरू होकर जिस्म पर खत्म हो जाना ..!! ✍️श्रेया "सोनल"

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