यूँ ही दौड़ते रहोगे दिशाहीन जीवन भर, जीवन में कोई द | हिंदी कविता

"यूँ ही दौड़ते रहोगे दिशाहीन जीवन भर, जीवन में कोई दिग दिगंत नहीं आएगा। प्रेम में जिओगे नहीं, प्रेम को सुनोगे नहीं, जीवन का मनभावन अंत नहीं आएगा।। गीतों को मेरे यदि मौन होके न सुनोगे, हृदय में शीतल हेमन्त नहीं आएगा। नयनों से झर झर फुहार झरती रहेगी, शरद ऋतु के बाद फिर बसंत नहीं आएगा।। ©Narendra Kumar"

 यूँ ही दौड़ते रहोगे दिशाहीन जीवन भर,
जीवन में कोई दिग दिगंत नहीं आएगा।
प्रेम में जिओगे नहीं, प्रेम को सुनोगे नहीं,
जीवन का मनभावन अंत नहीं आएगा।।
गीतों को मेरे यदि मौन होके न सुनोगे,
हृदय में शीतल हेमन्त नहीं आएगा।
नयनों से झर झर फुहार झरती रहेगी,
शरद ऋतु के बाद फिर बसंत नहीं आएगा।।

©Narendra Kumar

यूँ ही दौड़ते रहोगे दिशाहीन जीवन भर, जीवन में कोई दिग दिगंत नहीं आएगा। प्रेम में जिओगे नहीं, प्रेम को सुनोगे नहीं, जीवन का मनभावन अंत नहीं आएगा।। गीतों को मेरे यदि मौन होके न सुनोगे, हृदय में शीतल हेमन्त नहीं आएगा। नयनों से झर झर फुहार झरती रहेगी, शरद ऋतु के बाद फिर बसंत नहीं आएगा।। ©Narendra Kumar

#Basant_Panchmi

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