बेगानों से ज़ियादा अपना लगता है ,
धत्त इश्क़ कितना सुहाना लगता है ,,
रंग सारे धो कर उतार दिये इस ने ,
इक गुलाबी ही रंग रुहाना लगता है ,,
तेरे नैन नशीले देख बहक गया हूँ ,
चिंगारी छुटे तो तोपखाना लगता है ,,
एक जाम अगर आँखो से पी जाऊ ,
ऐसा पी गया जैसे मैखाना लगता है ,,
लिए फिरता है जेब में दिल अज़ीज़,
अब कहीं "सिफ़र" सयाना लगता है,,
©gaurav nirgure
#Shajar