आज दिल उसका हमको देख दुःखता होगा ,
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
शोषण के दलदल से तुम्हें बाहर किया
और तू भजन गाता शंख फूंखता है ..?
लूट लेते धर्म रक्षक मर्यादा जब बहनों की ,
सर मुंड के आदमियों को गधे चढ़ाया था ,
देवालय अपवित्र के प्रचंड दंड के भोगी
तू क्यों माथा झुकाता है तिलक लगता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
शिक्षा का अधिकार दिलवाया किसलिये ,
पढ़ लिख के अधिकारी बने इसलिये ,
और बन बैठा जब साहब बन के अगर ,
क्यों फिर तू अपनी जात छिपाता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
अब भी वक़्त है अगर सम्हल जाओगे ,
नहीं तो फिर से शोषित किये जाओगे ,
एक बार फिर तुम अछूत कहलाओगे ,
क्या इतना सा समझ नहीं आता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
जात-नीच जात का गंदा पाखंड ये ,
कोई देवता तुम्हें बचाने नहीं आयेगा ,
भगवा तो फिर से लहरायेगा ,
तुम्हारे हाथों में तो झाड़ू ही आएगा ,
क्या यहीं तुमको भाता हैं ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
©gaurav nirgure
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