आज दिल उसका हमको देख दुःखता होगा , बाबा साहेब का म | हिंदी Quotes

"आज दिल उसका हमको देख दुःखता होगा , बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , शोषण के दलदल से तुम्हें बाहर किया और तू भजन गाता शंख फूंखता है ..? लूट लेते धर्म रक्षक मर्यादा जब बहनों की , सर मुंड के आदमियों को गधे चढ़ाया था , देवालय अपवित्र के प्रचंड दंड के भोगी तू क्यों माथा झुकाता है तिलक लगता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , शिक्षा का अधिकार दिलवाया किसलिये , पढ़ लिख के अधिकारी बने इसलिये , और बन बैठा जब साहब बन के अगर , क्यों फिर तू अपनी जात छिपाता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , अब भी वक़्त है अगर सम्हल जाओगे , नहीं तो फिर से शोषित किये जाओगे , एक बार फिर तुम अछूत कहलाओगे , क्या इतना सा समझ नहीं आता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , जात-नीच जात का गंदा पाखंड ये , कोई देवता तुम्हें बचाने नहीं आयेगा , भगवा तो फिर से लहरायेगा , तुम्हारे हाथों में तो झाड़ू ही आएगा , क्या यहीं तुमको भाता हैं ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , ©gaurav nirgure"

 आज दिल उसका हमको देख दुःखता होगा ,
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,
शोषण के दलदल से तुम्हें बाहर किया 
और तू भजन गाता शंख फूंखता है ..?

लूट लेते धर्म रक्षक मर्यादा जब बहनों की ,
सर मुंड के आदमियों को गधे चढ़ाया था ,
देवालय अपवित्र के प्रचंड दंड के भोगी
तू क्यों माथा झुकाता है तिलक लगता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,

शिक्षा का अधिकार दिलवाया किसलिये ,
पढ़ लिख के अधिकारी बने इसलिये ,
और बन बैठा जब साहब बन के अगर ,
क्यों फिर तू अपनी जात छिपाता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,

अब भी वक़्त है अगर सम्हल जाओगे ,
नहीं तो फिर से शोषित किये जाओगे ,
एक बार फिर तुम अछूत कहलाओगे ,
क्या इतना सा समझ नहीं आता है ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा ,

जात-नीच जात का गंदा पाखंड ये ,
कोई देवता तुम्हें बचाने नहीं आयेगा ,
भगवा तो फिर से लहरायेगा ,
तुम्हारे हाथों में तो झाड़ू ही आएगा ,
क्या यहीं तुमको भाता हैं ..?
बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा  ,

©gaurav nirgure

आज दिल उसका हमको देख दुःखता होगा , बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , शोषण के दलदल से तुम्हें बाहर किया और तू भजन गाता शंख फूंखता है ..? लूट लेते धर्म रक्षक मर्यादा जब बहनों की , सर मुंड के आदमियों को गधे चढ़ाया था , देवालय अपवित्र के प्रचंड दंड के भोगी तू क्यों माथा झुकाता है तिलक लगता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , शिक्षा का अधिकार दिलवाया किसलिये , पढ़ लिख के अधिकारी बने इसलिये , और बन बैठा जब साहब बन के अगर , क्यों फिर तू अपनी जात छिपाता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , अब भी वक़्त है अगर सम्हल जाओगे , नहीं तो फिर से शोषित किये जाओगे , एक बार फिर तुम अछूत कहलाओगे , क्या इतना सा समझ नहीं आता है ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , जात-नीच जात का गंदा पाखंड ये , कोई देवता तुम्हें बचाने नहीं आयेगा , भगवा तो फिर से लहरायेगा , तुम्हारे हाथों में तो झाड़ू ही आएगा , क्या यहीं तुमको भाता हैं ..? बाबा साहेब का मन दलित से पूछता होगा , ©gaurav nirgure

#Rose

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