Blue Moon (मयकशी) बड़े शातिर नजर आ रहे हो शायर,,कह

"Blue Moon (मयकशी) बड़े शातिर नजर आ रहे हो शायर,,कहानी लिखना चाहते हो ,, चंद लम्हे ही बीते साथ उसके ,,फिर लम्हा लम्हा गुजरी कैसे ,,,जिंदगानी लिखना चाहते हो । # पूरा एक साल का सफर रहा ,, हैलो मैम से हाय डियर के मैसेज की बीच ,,बहुत देर तक हुई कैसे ,,ये ,,अनाकानी लिखना चाहते हो ।। # इश्क लिखना है अगर तो मयखाने से रुकसत लो मियां,,और कहीं किनारे पर बैठो ,, यूं मुहजोर तूफानों में फसकर ,,नादान लहरों की,, रवानी लिखना चाहते हो ।। # एक छत,,चार दिवारे और चंद मयकश ही हैं यहां,,बाहर निकलो और खुले आसमान के नीचे तारो की भीड़ में खो जाओ ,,अगर ख्याल तुम ,,आसमानी लिखना चाहते हो । # ये जाम से होंठो तक सफर शराब तय कर ही लेगी ,,तुम मेरे हाथो को घूरना छोड़ो और बताओ ,,क्या मेरी उंगली में उसकी वो आखिरी ,,निशानी लिखना चाहते हो ।। # हां मुझे तुम ,,दीवाना लिख सकते हो ,,मुझे मंजूर है ,,नही मंजूर अगर तुम उस खुदगर्ज को अब भी मेरी ,,दीवानी लिखना चाहते हो । # देखो दोस्त ,,,तुम्हारा टॉपिक ,, चाहत,, मुहोबत, मुसाफत का ही है तो सही है ,,मैं अपना आपा खो बैठूंगा ,,अगर तुमने कहा तुम कुछ ,,जिस्मानी लिखना चाहते हो ।। # मुआफ़ करना मैं अपनी जहरीली जुबां का खामियाजा भुगत रहा हूं आज तक ,ये कोई नही जानता ,,और तुम कोशिश कर भी रहे तो बस बाते जानी ,,पहचानी लिखना चाहते हो ।। # सुनो शायर,,उसका जिक्र भी होता है तो मैं शोलों का देहक उठता हूं,,देखो क्या तुम आंखे लाल और पसीने से लतपत,, पेशानी लिखना चाहते हो ।। # शराब कहते तो बैठे बैठे किताबें भर ही दी जाती तुम्हारी ,,पर तुमने कहा इश्क ,,इसका मतलब ,,किस्से कहानियों ,, लब्जों और अल्फाजों से भरा शराब का मदहोश सागर नही ,,तुम बस कुछ बूंद ,,पानी लिखना चाहते हो ।। # ©#शून्य राणा"

 Blue Moon (मयकशी)
बड़े शातिर नजर आ रहे हो शायर,,कहानी लिखना चाहते हो ,,
चंद लम्हे ही बीते साथ उसके ,,फिर लम्हा लम्हा गुजरी कैसे ,,,जिंदगानी लिखना चाहते हो ।
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पूरा एक साल का सफर रहा ,, हैलो मैम से हाय डियर के मैसेज की बीच ,,बहुत देर तक हुई कैसे ,,ये ,,अनाकानी लिखना चाहते हो ।।
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इश्क लिखना है अगर तो मयखाने से रुकसत लो मियां,,और कहीं किनारे पर बैठो ,, यूं मुहजोर तूफानों में फसकर ,,नादान लहरों की,, रवानी लिखना चाहते हो ।।
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एक छत,,चार दिवारे और चंद मयकश ही हैं यहां,,बाहर निकलो और खुले आसमान के नीचे तारो की भीड़ में खो जाओ ,,अगर ख्याल तुम ,,आसमानी लिखना चाहते हो ।
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ये जाम से होंठो तक सफर शराब तय कर ही लेगी ,,तुम मेरे हाथो को घूरना छोड़ो और बताओ ,,क्या मेरी उंगली में उसकी वो आखिरी ,,निशानी लिखना चाहते हो ।।
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हां मुझे तुम ,,दीवाना लिख सकते हो  ,,मुझे मंजूर है ,,नही मंजूर अगर तुम उस खुदगर्ज को अब भी मेरी ,,दीवानी लिखना चाहते हो ।
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देखो दोस्त ,,,तुम्हारा टॉपिक ,, चाहत,, मुहोबत, मुसाफत का ही है तो सही है ,,मैं अपना आपा खो बैठूंगा ,,अगर तुमने कहा  तुम कुछ ,,जिस्मानी लिखना चाहते हो ।।
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मुआफ़ करना मैं अपनी जहरीली जुबां का खामियाजा भुगत रहा हूं आज तक ,ये कोई नही जानता ,,और तुम कोशिश कर भी रहे तो बस बाते जानी ,,पहचानी लिखना चाहते हो ।।
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सुनो शायर,,उसका जिक्र भी होता है तो मैं शोलों का देहक उठता हूं,,देखो क्या तुम आंखे लाल और पसीने से लतपत,, पेशानी लिखना चाहते हो ।।
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शराब कहते तो बैठे बैठे किताबें भर ही दी जाती तुम्हारी ,,पर तुमने कहा इश्क ,,इसका मतलब ,,किस्से कहानियों ,, लब्जों और अल्फाजों से भरा शराब का मदहोश सागर नही ,,तुम बस कुछ बूंद ,,पानी लिखना चाहते हो ।।
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©#शून्य राणा

Blue Moon (मयकशी) बड़े शातिर नजर आ रहे हो शायर,,कहानी लिखना चाहते हो ,, चंद लम्हे ही बीते साथ उसके ,,फिर लम्हा लम्हा गुजरी कैसे ,,,जिंदगानी लिखना चाहते हो । # पूरा एक साल का सफर रहा ,, हैलो मैम से हाय डियर के मैसेज की बीच ,,बहुत देर तक हुई कैसे ,,ये ,,अनाकानी लिखना चाहते हो ।। # इश्क लिखना है अगर तो मयखाने से रुकसत लो मियां,,और कहीं किनारे पर बैठो ,, यूं मुहजोर तूफानों में फसकर ,,नादान लहरों की,, रवानी लिखना चाहते हो ।। # एक छत,,चार दिवारे और चंद मयकश ही हैं यहां,,बाहर निकलो और खुले आसमान के नीचे तारो की भीड़ में खो जाओ ,,अगर ख्याल तुम ,,आसमानी लिखना चाहते हो । # ये जाम से होंठो तक सफर शराब तय कर ही लेगी ,,तुम मेरे हाथो को घूरना छोड़ो और बताओ ,,क्या मेरी उंगली में उसकी वो आखिरी ,,निशानी लिखना चाहते हो ।। # हां मुझे तुम ,,दीवाना लिख सकते हो ,,मुझे मंजूर है ,,नही मंजूर अगर तुम उस खुदगर्ज को अब भी मेरी ,,दीवानी लिखना चाहते हो । # देखो दोस्त ,,,तुम्हारा टॉपिक ,, चाहत,, मुहोबत, मुसाफत का ही है तो सही है ,,मैं अपना आपा खो बैठूंगा ,,अगर तुमने कहा तुम कुछ ,,जिस्मानी लिखना चाहते हो ।। # मुआफ़ करना मैं अपनी जहरीली जुबां का खामियाजा भुगत रहा हूं आज तक ,ये कोई नही जानता ,,और तुम कोशिश कर भी रहे तो बस बाते जानी ,,पहचानी लिखना चाहते हो ।। # सुनो शायर,,उसका जिक्र भी होता है तो मैं शोलों का देहक उठता हूं,,देखो क्या तुम आंखे लाल और पसीने से लतपत,, पेशानी लिखना चाहते हो ।। # शराब कहते तो बैठे बैठे किताबें भर ही दी जाती तुम्हारी ,,पर तुमने कहा इश्क ,,इसका मतलब ,,किस्से कहानियों ,, लब्जों और अल्फाजों से भरा शराब का मदहोश सागर नही ,,तुम बस कुछ बूंद ,,पानी लिखना चाहते हो ।। # ©#शून्य राणा

#कहानी लिखना चाहते हो । #मयकशी #शराब @Sircastic Saurabh नीर Anudeep दीपा साहू "प्रकृति" ADV.काव्या मझधार

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