दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे नज़र आते हैं अ

"दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे नज़र आते हैं अब कैसे दें इल्जाम सिर्फ दुश्मनों को जब अपनों के हाथों में भी कमान नजर आते हैं कैसे पहचाना जाए खुदगर्ज चेहरों को अब अपनों के चेहरों पर भी नकाब नजर आते हैं फिर कहां दर्द होगा गैरों के दिए जख्मों से जब अपने ही अपनों के जज्बातों से खेलते नजर आते हैं हार जाते हैं हम लड़ाई जानबूझकर भी जब वार करने वालों में चेहरे अपनों के भी नजर आते हैं इस कदर नकाबपोश हो गए हैं लोग "ऋषि" छूना जरा संभल कर अब कांटे भी फूल नजर आते हैं...!! ©Rishi Kumar"

 दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे 
नज़र आते हैं 
अब कैसे दें इल्जाम सिर्फ दुश्मनों को 
जब अपनों के हाथों में भी कमान 
नजर आते हैं
 कैसे पहचाना जाए खुदगर्ज चेहरों को
 अब अपनों के  चेहरों पर भी नकाब
 नजर आते हैं 
फिर कहां दर्द होगा गैरों के दिए जख्मों से 
जब अपने ही अपनों के जज्बातों से खेलते
 नजर आते हैं 
हार जाते हैं हम लड़ाई जानबूझकर भी
 जब वार करने वालों में चेहरे अपनों के भी
 नजर आते हैं
 इस कदर नकाबपोश हो गए हैं लोग
 "ऋषि" छूना जरा संभल कर अब कांटे भी 
फूल नजर आते हैं...!!

©Rishi Kumar

दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे नज़र आते हैं अब कैसे दें इल्जाम सिर्फ दुश्मनों को जब अपनों के हाथों में भी कमान नजर आते हैं कैसे पहचाना जाए खुदगर्ज चेहरों को अब अपनों के चेहरों पर भी नकाब नजर आते हैं फिर कहां दर्द होगा गैरों के दिए जख्मों से जब अपने ही अपनों के जज्बातों से खेलते नजर आते हैं हार जाते हैं हम लड़ाई जानबूझकर भी जब वार करने वालों में चेहरे अपनों के भी नजर आते हैं इस कदर नकाबपोश हो गए हैं लोग "ऋषि" छूना जरा संभल कर अब कांटे भी फूल नजर आते हैं...!! ©Rishi Kumar

दर्द जो अपनों से मिलता है.....!!

#worldpostday

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