Rishi Kumar

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ए वक्त तू मुझसे कभी तो वफा किया कर मिले उसे फुर्सत मिलने की इतनी मोहलत तो दिया कर इंतजार के लम्हों को सदियों जैसा बना देता है कभी मुलाकात के पलों को भी सदियों में बदल दिया कर ए रात तू कभी तो मेरा साथ निभाया कर मुझे गहरी नींद सुला कर तू बस ठहर जाया कर शायद तुझे मालूम नहीं वो ख्वाबों में मिलने आते हैं मैं ना कहूं तब तक सुबह ना होने दिया कर ओ सूरज कभी तो मेरी बात मान लिया कर वो जिस रास्ते से गुजरे कुछ देर छुप जाया कर पहचान ना सके कोई ओर उसे मेरे सिवा बस मैं देखूं बाकी सारे नजरों के पहरे हटा दिया कर ©Rishi Kumar

#Heart  ए वक्त तू मुझसे कभी तो वफा किया कर
 मिले उसे फुर्सत मिलने की इतनी मोहलत तो दिया कर
 इंतजार के लम्हों को सदियों जैसा बना देता है
 कभी मुलाकात के पलों को भी सदियों में बदल दिया कर

ए रात तू कभी तो मेरा साथ निभाया कर
 मुझे गहरी नींद सुला कर तू बस ठहर जाया कर
 शायद तुझे मालूम नहीं वो ख्वाबों में मिलने आते हैं
मैं ना कहूं तब तक सुबह ना होने दिया कर 

ओ सूरज कभी तो मेरी बात मान लिया कर
 वो जिस रास्ते से गुजरे कुछ देर छुप जाया कर 
 पहचान ना सके कोई ओर उसे मेरे सिवा
 बस मैं देखूं बाकी सारे नजरों के पहरे हटा दिया कर

©Rishi Kumar

#Heart

17 Love

मेरे वश में अगर हो तो तुझ पर इतना तो सितम करूं अपना सारा दर्द तुझे देकर मैं खुद को बेदर्द कर दूं..!! तेरा दिया तुझे लौटा कर बेवफाई का हक़ अदा कर दूं तुझे दर्द के पिंजरे में कैद कर खुद को आजाद कर दूं छीन कर हंसी तेरी आंखों को अश्कों का सावन कर दूं छीन कर तुझसे तेरे प्यार को तुझे तन्हा कर दूं....!! कोई अपना मिले ना तुझे तेरे शहर को मैं ऐसे वीरान कर दूं तब अपने जज्बात दूं दर्द ए जुदाई तू पल भर सह ना सके कांटों भरा रास्ता दूं जिस पर एक कदम भी तू चल ना सके फिर छीन लूं जुबां तू हाल-ए- दिल भी कह ना सके...!! मेरे जैसे ना जी सके ना मर सके ऐसा तेरा हाल कर दूं खुद से नफरत करने लगे फितरत को तेरा आईना कर दूं तू सिसकने लगे दर्द की इंतेहा से तब तुझ पर मैं रहम कर दूं तेरा छीना हुआ सब लौटा कर तुझे फिर से खुशहाल कर दूं..! तेरे किए का तुझे एहसास हो जाए तब खुद को गुमनाम कर दूं तू आए मेरे दर पर तब मैं तुझे पहचानने तक से इंकार कर दूं...! तू चाहे गले लगा कर मेरा दर्द बांटना पर छू भी ना पाए मुझे खुद्दारी की आग में मैं खुद को जला कर राख कर दूं...!! छोड़ दूं तुझे उम्र भर के लिए पछतावे की आग में जलने को फिर करे ना कोई किसी से बेवफाई ऐसी एक मिसाल कर दूं ठुकरा कर तुझे इस कहानी को मैं इतिहास कर दूं ........!! ©Rishi Kumar

#alonesoul  मेरे वश में अगर हो तो तुझ पर इतना तो सितम करूं
 अपना सारा दर्द तुझे देकर मैं खुद को बेदर्द कर दूं..!!
 तेरा दिया तुझे लौटा कर बेवफाई का हक़ अदा कर दूं 
तुझे दर्द के पिंजरे में कैद कर खुद को आजाद कर दूं
छीन कर हंसी तेरी आंखों को अश्कों का सावन कर दूं
छीन कर तुझसे तेरे प्यार को तुझे तन्हा कर दूं....!!
 कोई अपना मिले ना तुझे तेरे शहर को मैं ऐसे वीरान कर दूं
 तब अपने जज्बात दूं दर्द ए जुदाई तू पल भर सह ना सके
   कांटों भरा रास्ता दूं जिस पर एक कदम भी तू चल ना सके
 फिर छीन लूं जुबां तू हाल-ए- दिल भी कह ना सके...!!
मेरे जैसे ना जी सके ना मर सके ऐसा तेरा हाल कर दूं
खुद से नफरत करने लगे फितरत को तेरा आईना कर दूं
 तू सिसकने लगे दर्द की इंतेहा से तब तुझ पर मैं रहम कर दूं
तेरा छीना हुआ सब लौटा कर तुझे फिर से खुशहाल कर दूं..!
 तेरे किए का तुझे एहसास हो जाए तब खुद को गुमनाम कर दूं
  तू आए मेरे दर पर तब मैं तुझे पहचानने तक से इंकार कर दूं...!
 तू चाहे गले लगा कर मेरा दर्द बांटना पर छू भी ना पाए मुझे 
खुद्दारी की आग में मैं खुद को जला कर राख कर दूं...!!
 छोड़ दूं तुझे उम्र भर के लिए पछतावे की आग में जलने को
 फिर करे ना कोई किसी से बेवफाई ऐसी एक मिसाल कर दूं
ठुकरा कर तुझे इस कहानी को मैं इतिहास कर दूं ........!!

©Rishi Kumar

दर्द भरे अरमान....!! #alonesoul

19 Love

दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे नज़र आते हैं अब कैसे दें इल्जाम सिर्फ दुश्मनों को जब अपनों के हाथों में भी कमान नजर आते हैं कैसे पहचाना जाए खुदगर्ज चेहरों को अब अपनों के चेहरों पर भी नकाब नजर आते हैं फिर कहां दर्द होगा गैरों के दिए जख्मों से जब अपने ही अपनों के जज्बातों से खेलते नजर आते हैं हार जाते हैं हम लड़ाई जानबूझकर भी जब वार करने वालों में चेहरे अपनों के भी नजर आते हैं इस कदर नकाबपोश हो गए हैं लोग "ऋषि" छूना जरा संभल कर अब कांटे भी फूल नजर आते हैं...!! ©Rishi Kumar

#worldpostday  दिल पर लगे तीरों के घाव बहुत गहरे 
नज़र आते हैं 
अब कैसे दें इल्जाम सिर्फ दुश्मनों को 
जब अपनों के हाथों में भी कमान 
नजर आते हैं
 कैसे पहचाना जाए खुदगर्ज चेहरों को
 अब अपनों के  चेहरों पर भी नकाब
 नजर आते हैं 
फिर कहां दर्द होगा गैरों के दिए जख्मों से 
जब अपने ही अपनों के जज्बातों से खेलते
 नजर आते हैं 
हार जाते हैं हम लड़ाई जानबूझकर भी
 जब वार करने वालों में चेहरे अपनों के भी
 नजर आते हैं
 इस कदर नकाबपोश हो गए हैं लोग
 "ऋषि" छूना जरा संभल कर अब कांटे भी 
फूल नजर आते हैं...!!

©Rishi Kumar

दर्द जो अपनों से मिलता है.....!! #worldpostday

15 Love

Muft hi bik gaya wo hawas ke bajar mai, Jo khud ki keemat nahi samjh saka , Wo meri mohabbat kya samjhega...!! ©Rishi Kumar

#worldpostday  Muft hi bik gaya wo 
hawas ke bajar mai,
Jo khud ki keemat 
nahi samjh saka ,
Wo meri mohabbat 
kya samjhega...!!

©Rishi Kumar

वह नहीं समझेगा #worldpostday

16 Love

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