।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,ब | हिंदी कविता

"।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।। वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से । वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।। वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही। वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।। शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।।"

 ।। नारी ~भाग-2।।

नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार ।
गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।।

जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है।
विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।।

वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से ।
वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।।
वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही।
वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।।

शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।।

।। नारी ~भाग-2।। नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार । गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।। जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है। विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।। वह कहती नहीं पर विस्मित है, आज के जय जयकारों से । वह स्वतंत्र है पर सीमित भी इन नारीवादो अधिकारों से ।। वह मान नहीं, वह गौंण नहीं, वो हर ललकार को रौंद रही। वह वसुधा की माटी शरीख, वो अंदर अंदर कौध रही ।। शब्द पिरोकर लिखा प्रकाश ने अब स्वीकार करो नारी सम्मान ।।

।। नारी ~भाग-2।।

नारी तेरे रूप हजार, मां ,बेटी ,बहना व प्यार ।
गौं, जननी और गंगा धार, नमन करूं मैं बारंबार ।।

जलधि सी शांति स्वरूपा है, और ज्वाला रूप भवानी है।
विकराल रूप धारण करें, तो रौद्र रूप महाकाली है।।

People who shared love close

More like this

Trending Topic