जय श्री राम
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उर-मन जिसको अपनाता है
सूरज खुद दीप जलाता है
अनल,अनिल सब डरते हैं
इतिहास भी गाथा गढ़ते हैं
जन-जन जिसका अभिलाषी है
जो घट-घट,कण-कण वासी है
जो छिपा हुआ है अंतर्मन हम उस अभिमान का दमन करें
ऐसे श्री राम के चरणों में ...........हम कोटि-कोटि नमन करें
धर्मेन्द्र कुमार शर्मा
(9759333632)
©Kavi Dharmendra Kavya
#Dussehra2020