मैं अक्सर एक गीत गुनगुनाया करता था, तुम्हें देखते | हिंदी Poetry

"मैं अक्सर एक गीत गुनगुनाया करता था, तुम्हें देखते उसे भूल जाया करता था, हरे समन्दर के खारे लहरों जैसे उसके बोल थे, हमारे दरमियाँ हमेशा मीठा अहसास रहे इसीलिए अक्सर मैं उसे पी जाया करता था।। ©Rohan Jha"

 मैं अक्सर एक गीत गुनगुनाया करता था,
तुम्हें देखते उसे भूल जाया करता था,
हरे समन्दर के खारे लहरों जैसे उसके बोल थे,
हमारे दरमियाँ हमेशा मीठा अहसास रहे
 इसीलिए अक्सर मैं उसे पी जाया करता था।।

©Rohan Jha

मैं अक्सर एक गीत गुनगुनाया करता था, तुम्हें देखते उसे भूल जाया करता था, हरे समन्दर के खारे लहरों जैसे उसके बोल थे, हमारे दरमियाँ हमेशा मीठा अहसास रहे इसीलिए अक्सर मैं उसे पी जाया करता था।। ©Rohan Jha

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