पी ली सबने अपनी अपनी,इक पैमाना खाली था, अपनी | हिंदी शायरी

"पी ली सबने अपनी अपनी,इक पैमाना खाली था, अपनी अपनी खुशियां ले ली,ग़म का खाना खाली था। खाली पैमाने को लेकर, हम भी थे चुपचाप खड़े, नज़र उठा कर जब देखा तो, मयखाना भी खाली था। सबकी अपनी-अपनी किस्मत, अपने अपने अफसाने थे, छलक रहे थे कहीं कहीं, कहीं पे खाली पैमाने थे। हंसते हंसते रो देते थे,सहसा मौन कभी हो जाते, कहीं गज़ल थी,कहीं रुबाई, दर्द के कितने पैमाने थे। ©Manish ghazipuri"

 पी  ली  सबने अपनी  अपनी,इक  पैमाना  खाली था,
अपनी अपनी खुशियां ले ली,ग़म का खाना खाली था।
खाली   पैमाने  को   लेकर,  हम  भी  थे  चुपचाप खड़े,
नज़र उठा कर जब देखा तो, मयखाना भी खाली था।

सबकी अपनी-अपनी किस्मत, अपने अपने अफसाने थे,
छलक  रहे थे कहीं कहीं, कहीं पे खाली पैमाने थे।
हंसते हंसते रो देते थे,सहसा मौन  कभी  हो जाते,
कहीं गज़ल थी,कहीं रुबाई, दर्द के कितने पैमाने थे।

©Manish ghazipuri

पी ली सबने अपनी अपनी,इक पैमाना खाली था, अपनी अपनी खुशियां ले ली,ग़म का खाना खाली था। खाली पैमाने को लेकर, हम भी थे चुपचाप खड़े, नज़र उठा कर जब देखा तो, मयखाना भी खाली था। सबकी अपनी-अपनी किस्मत, अपने अपने अफसाने थे, छलक रहे थे कहीं कहीं, कहीं पे खाली पैमाने थे। हंसते हंसते रो देते थे,सहसा मौन कभी हो जाते, कहीं गज़ल थी,कहीं रुबाई, दर्द के कितने पैमाने थे। ©Manish ghazipuri

पैमाने जिंदगी के♥️♥️❣️♥️

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