जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ
तब से अकेला हो गया चले गए तुम उस जहाँ ।
तुम हमेशा मेरी लेखनी की तारीफ करते थे
धन्यवाद देने के लिए ढूंढूं मैं कहाँ - कहाँ ।
तुम हमसे झगड़ा करते थे मेरे वक़्त के लिए
नही पता था तुम छोड़ कर चले जाओगे उस जहाँ ।
सच मे आज तुम्हारी कमी खल गई
दिल को दिलासा देता रहा जहाँ-तहाँ ।
आज तुमको बहुत याद किया
खोजता रहा पागलों की तरह यहाँ-वहाँ ।
उस जहाँ से भी मुझपर प्यार बनाये रखना
मैं लापरवाह खोजता हूँ
हर चेहरे में तुम्हारे जैसा दोस्त कभी यहाँ कभी वहाँ ।
ओम
©Hariom Mishra