English
Coauthor 1 : Kashish-ae-alfaaz 2:Thy Fate insta I'd lazy_person124
जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ तब से अकेला हो गया चले गए तुम उस जहाँ । तुम हमेशा मेरी लेखनी की तारीफ करते थे धन्यवाद देने के लिए ढूंढूं मैं कहाँ - कहाँ । तुम हमसे झगड़ा करते थे मेरे वक़्त के लिए नही पता था तुम छोड़ कर चले जाओगे उस जहाँ । सच मे आज तुम्हारी कमी खल गई दिल को दिलासा देता रहा जहाँ-तहाँ । आज तुमको बहुत याद किया खोजता रहा पागलों की तरह यहाँ-वहाँ । उस जहाँ से भी मुझपर प्यार बनाये रखना मैं लापरवाह खोजता हूँ हर चेहरे में तुम्हारे जैसा दोस्त कभी यहाँ कभी वहाँ । ओम ©Hariom Mishra
Hariom Mishra
16 Love
तू खुद को बदल चल । जिंदगी रूपी मार्ग पर बहुत कठिनाईं आयेगी थोड़ा संभल चल । तू मायूस क्यूँ होता है खुद का रास्ता बना और आगे बढ़ चल। लोग करेंगे तेरे अच्छे कार्यों की बुराई उनको नजरअंदाज कर । तू अपने आप मे तूफान है तो आगे बढ़ता जा हर मुश्किलों को चीरकर । रोज तू कुछ अच्छा कर बेहतर होगा तेरा आने वाला कल l तू खुद का रास्ता बना और उन रास्तों में आने वाली समस्याओं से लड़ । तू खुद को थोड़ा बदल चल। ओम ©Hariom Mishra
27 Love
वो माँ का आँचल और खिलौनो के लिए रोना बेफिक्र वो खुले आसमान के नीचे छत पर सोना वो मेरे ईश्वर मेरी इच्छा है फिर से उस बचपन मे खोना । ओम ©Hariom Mishra
17 Love
तुमसे मिलकर लगा कि जीवन मुकम्मल हुआ तो सुनो प्रिय अब तुमपर कोई विश्वास नही । तुम्हारे लिए फिर से धड़के ये दिल साँसों में वो एहसास नही । तुमको तो अच्छे अच्छे चेहरे पसंद हैं तो सुनो प्रिय पहले जैसे अब तुम खास नही । साथ होकर भी और लोग से मीठी मीठी बाते करते तो अब हमसे विश्वासघात नही । तुम्हारे चरित्र पर ऊँगली कभी न उठाऊंगा लेकिन मेरे होने और न होने से तुमको कोई आभास नही । तुम अपनी जीवन में कुछ भी करो लेकिन सुनो प्रिय अब मेरे पर कोई अभ्यास नही । बहुत हैं तुम अच्छे चेहरे को चाहने वाले सच्चे दिल से कदर करने वाले आते तुमको रास नही सुनो प्रिय अब तुमपर कोई विश्वास नही । ओम ©Hariom Mishra
18 Love
बदलते हुए साल के साथ लोगों को बदलते देखा है साथ होकर भी अपनो को षड्यंत्र रचते देखा है । पीठ पीछे करते बुराई ऐसी इनकी जीवन रेखा है बदलते साल के साथ थोड़ा खुद को संभलते देखा है । बदलते साल के साथ अपनो में अपनापन खोते देखा है तकदीर को तस्वीर के हवाले(भगवान भरोसे)सोते देखा है । जरूरत के समय अपनो को पीछे हटते देखा है बदलते वक्त के साथ अपनों को नजरो से उतरते देखा है । अपना नुकसान करके दूसरों को नुकसान करते देखा है बदलते साल के साथ पैसों के पीछे मरते देखा है । ओम ©Hariom Mishra
दिमाग से भी तेज और वो पढ़ाई तो बहुत करता है । लेकिन बेरोजगारी का दौर है और लोग समझते हैं कि वजह कुछ और है ओम ©Hariom Mishra
You are not a Member of Nojoto with email
or already have account Login Here
Will restore all stories present before deactivation. It may take sometime to restore your stories.
Continue with Social Accounts
Download App
Stories | Poetry | Experiences | Opinion
कहानियाँ | कविताएँ | अनुभव | राय
Continue with
Download the Nojoto Appto write & record your stories!
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here