जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ तब | हिंदी कविता

"जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ तब से अकेला हो गया चले गए तुम उस जहाँ । तुम हमेशा मेरी लेखनी की तारीफ करते थे धन्यवाद देने के लिए ढूंढूं मैं कहाँ - कहाँ । तुम हमसे झगड़ा करते थे मेरे वक़्त के लिए नही पता था तुम छोड़ कर चले जाओगे उस जहाँ । सच मे आज तुम्हारी कमी खल गई दिल को दिलासा देता रहा जहाँ-तहाँ । आज तुमको बहुत याद किया खोजता रहा पागलों की तरह यहाँ-वहाँ । उस जहाँ से भी मुझपर प्यार बनाये रखना मैं लापरवाह खोजता हूँ हर चेहरे में तुम्हारे जैसा दोस्त कभी यहाँ कभी वहाँ । ओम ©Hariom Mishra"

 जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ 
तब  से अकेला हो गया चले गए तुम उस जहाँ ।
तुम हमेशा मेरी लेखनी की तारीफ करते थे 
धन्यवाद देने के लिए ढूंढूं मैं कहाँ - कहाँ ।
तुम हमसे झगड़ा करते थे मेरे वक़्त के लिए 
नही पता था  तुम छोड़ कर चले जाओगे उस जहाँ ।
सच मे आज तुम्हारी कमी खल गई 
दिल को दिलासा देता रहा जहाँ-तहाँ  ।
आज तुमको बहुत याद किया 
 खोजता रहा पागलों की तरह यहाँ-वहाँ ।
उस जहाँ से भी मुझपर प्यार बनाये रखना 
मैं लापरवाह खोजता हूँ 
 हर चेहरे में तुम्हारे जैसा दोस्त कभी यहाँ कभी वहाँ ।
                                        ओम

©Hariom Mishra

जब से तुम गए तुम्हारे जैसा दोस्त मिलेगा कहाँ तब से अकेला हो गया चले गए तुम उस जहाँ । तुम हमेशा मेरी लेखनी की तारीफ करते थे धन्यवाद देने के लिए ढूंढूं मैं कहाँ - कहाँ । तुम हमसे झगड़ा करते थे मेरे वक़्त के लिए नही पता था तुम छोड़ कर चले जाओगे उस जहाँ । सच मे आज तुम्हारी कमी खल गई दिल को दिलासा देता रहा जहाँ-तहाँ । आज तुमको बहुत याद किया खोजता रहा पागलों की तरह यहाँ-वहाँ । उस जहाँ से भी मुझपर प्यार बनाये रखना मैं लापरवाह खोजता हूँ हर चेहरे में तुम्हारे जैसा दोस्त कभी यहाँ कभी वहाँ । ओम ©Hariom Mishra

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