2122 1212 22/112 ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई है छाई चारो

"2122 1212 22/112 ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई है छाई चारों तरफ़ उदासी है चाँद को छत से देख कर मैंने रात सारी यूँ ही गुज़ारी है तीरगी और सर्द रातें ये हौसलो की श'मा जलानी है दर्द से मैं कराहता हूँ सदा ज़ीस्त में चोट ऐसी खाई है राज़ अपने सभी बता डाले अब बताने की तेरी बारी है उम्र भर वो मुझे पिलाता रहा आज साक़ी को मय पिलानी है तुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरा मेरी महबूबा लौट आई है"

 2122 1212 22/112
ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई है
छाई चारों तरफ़ उदासी है

चाँद को छत से देख कर मैंने
रात सारी यूँ ही गुज़ारी है

तीरगी और सर्द रातें ये
हौसलो की श'मा जलानी है

दर्द से मैं कराहता हूँ सदा
ज़ीस्त में चोट ऐसी खाई है

राज़ अपने सभी बता डाले
अब बताने की तेरी बारी है

उम्र भर वो मुझे पिलाता रहा
आज साक़ी को मय पिलानी है

तुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरा
मेरी महबूबा लौट आई है

2122 1212 22/112 ज़िन्दगी किस तरफ़ ले आई है छाई चारों तरफ़ उदासी है चाँद को छत से देख कर मैंने रात सारी यूँ ही गुज़ारी है तीरगी और सर्द रातें ये हौसलो की श'मा जलानी है दर्द से मैं कराहता हूँ सदा ज़ीस्त में चोट ऐसी खाई है राज़ अपने सभी बता डाले अब बताने की तेरी बारी है उम्र भर वो मुझे पिलाता रहा आज साक़ी को मय पिलानी है तुम "सफ़र" रास्ता न देखो मिरा मेरी महबूबा लौट आई है

#सफ़र_ए_प्रेरित #yqbaba #yqdidi #shayari #love #philosophy

ashish malik

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