White मैं सोचता हूं, रात क्यों होती है, रात होती ह | हिंदी विचार

"White मैं सोचता हूं, रात क्यों होती है, रात होती है तो कोई खामोशी, बढ़ी ज़ोर से चिल्लाती है, और मैं सांसें रोककर, तन्हाइयों को ओढ़ने की, नाकाम सी कोशिश करता रहता हूं। ©Harvinder Ahuja"

 White मैं सोचता हूं, रात क्यों होती है,
रात होती है तो कोई खामोशी,
बढ़ी ज़ोर से चिल्लाती है,
और मैं सांसें रोककर,
तन्हाइयों को ओढ़ने की,
नाकाम सी कोशिश करता रहता हूं।

©Harvinder Ahuja

White मैं सोचता हूं, रात क्यों होती है, रात होती है तो कोई खामोशी, बढ़ी ज़ोर से चिल्लाती है, और मैं सांसें रोककर, तन्हाइयों को ओढ़ने की, नाकाम सी कोशिश करता रहता हूं। ©Harvinder Ahuja

#रात और खामोशियां

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