"नादान हूं
नासमझ हूं
गुस्से वाली भी हूं
जिद्दी भी हूं.... ज्यादा नहीं
लेकिन थोड़ी गुरूर वाली भी हूं......
पर इतने सब के बावजूद कभी खुद
की खुशियों के लिए अपनों को तकलीफ नहीं दिया.......
पता है सब
कहते है की सबर करो
एक दिन तुम्हारे नसीब में भी खुशियाँ आएँगी .....
पर सोचती हूं जब कोई बीमार हो
तब दवा न मिले,
बाद में मिले या न मिले
क्या फर्क पड़ता हैं.......🤞😒
©मेरेख्यालमेरेजज्बात
"