मश्के सुखन... दो बजे थे रात | English Poetry

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मश्के सुखन...

दो बजे थे रात के,
हर सम्त था गहरा सुकून,
और मैं फरमा रहा था
शौक से मश्के सुखन,

जाग उठी बेगम अचानक,

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