White आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने चलो हम अपन | हिंदी कविता

"White आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने चलो हम अपनी प्रीत की एक दुनिया चुने सिलवटे रेत की मिटती हो जैसे कभी दूरियाँ फ़ना हो तुझमें और मुझमें कभी आओ खेत की कोई एक ऐसी पगडण्डी चुने आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने... "नीर " ©Neeraj Neer"

 White आओ  सपनो  को  फिर  से खोल कर बुने
चलो हम अपनी प्रीत की एक दुनिया चुने 
सिलवटे  रेत  की  मिटती  हो  जैसे  कभी 
दूरियाँ  फ़ना  हो तुझमें  और मुझमें कभी 
आओ खेत की कोई एक ऐसी  पगडण्डी चुने 
आओ  सपनो  को  फिर  से खोल कर बुने... "नीर "

©Neeraj Neer

White आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने चलो हम अपनी प्रीत की एक दुनिया चुने सिलवटे रेत की मिटती हो जैसे कभी दूरियाँ फ़ना हो तुझमें और मुझमें कभी आओ खेत की कोई एक ऐसी पगडण्डी चुने आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने... "नीर " ©Neeraj Neer

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