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मैं नीरज नीर एक कलमकार हूँ l मेरी कविता आप केे दिलो को छु लेगी ,और हौले से आपको अपना बना लेगी l
White आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने चलो हम अपनी प्रीत की एक दुनिया चुने सिलवटे रेत की मिटती हो जैसे कभी दूरियाँ फ़ना हो तुझमें और मुझमें कभी आओ खेत की कोई एक ऐसी पगडण्डी चुने आओ सपनो को फिर से खोल कर बुने... "नीर " ©Neeraj Neer
Neeraj Neer
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White मन में अँधेरा क्यों चाँद सूरज से हारे टुटा मै था बिखरे क्यों अरमान सारे जीवन धारा सुन क्यों हम थे बेसहारे मन में अँधेरा क्यों चाँद सूरज से हारे पथ पे बसेरा सुबहो सवेरा क्यों ना हम चले भागे उसका चेहरा था इस मन में क्यों टूटे मन के धागे मन में अँधेरा क्यों चाँद सूरज से हारे......नीरज वर्मा "नीर" ©Neeraj Neer
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White बहते अश्कों को सम्भाल लूँ , हमे अब इतना होश ही कहाँ , अपने होने की कोई निशानी तो नहीं, फिर खुद को खोने की बात ही कहाँ... "नीर" ©Neeraj Neer
चलता गया कल की निशा में, मैं बहुत दूर तक अलसाया गिरा था जैसे आँख मुद कर एक किरण उजली जब मेरा पता लेकर आई बदल चोला मैं तो निकल पड़ा था बहुत दूर तक .... "नीर" ©Neeraj Neer
White कुछ न कहना और सब कुछ समझना कभी शब्दों से आगे निकलना तो हमको समझना मैं बहता भी हूँ तो कभी रुकता कहीं पे कोई मेढ़ दिल पे बना के तुम रखना "नीर " ©Neeraj Neer
मैंने किया था मना बात करने को.. पर तुम तो कर सकते थे बात... पूछ सकते थे.. कर सकते थे शिकायत... पर इस ख़ामोशी ने बढ़ा दिए दरमियाँ फ़ासले... तुमने भी जिद्द ना छोड़ी हमने भी हठ ना तोड़ी.... टूटे तो बस सपने... छूटे तो बस साथ.... रह गयी चाँद और तारों के बीच अकेली तनहा रात!!! ©Neeraj Neer
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