इक भीड़ चल रही थी,भीड़ में तो था मग़र न भीड़ का हिस्सा | हिंदी कविता

"इक भीड़ चल रही थी,भीड़ में तो था मग़र न भीड़ का हिस्सा बना,न भीड़ से जुदा रहा। चलता रहा यूँ काफिला,बस उम्र निकलती रह इक उम्र ढाल गई,तब जानें ये बात। "जीनी थी ज़िन्दगी बस यूहीं कट गई" इक भीड़ चलती रही........................ इक भीड़ चलती रही...........। ©nikita kothari"

 इक भीड़ चल रही थी,भीड़ में तो था मग़र
न भीड़ का हिस्सा बना,न भीड़ से जुदा रहा।


चलता रहा यूँ काफिला,बस उम्र निकलती रह
इक उम्र ढाल गई,तब जानें ये बात।


"जीनी थी ज़िन्दगी बस यूहीं कट गई"
इक भीड़ चलती रही........................
इक भीड़ चलती रही...........।

©nikita kothari

इक भीड़ चल रही थी,भीड़ में तो था मग़र न भीड़ का हिस्सा बना,न भीड़ से जुदा रहा। चलता रहा यूँ काफिला,बस उम्र निकलती रह इक उम्र ढाल गई,तब जानें ये बात। "जीनी थी ज़िन्दगी बस यूहीं कट गई" इक भीड़ चलती रही........................ इक भीड़ चलती रही...........। ©nikita kothari

#Bheed

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