उनसे दूर उनसे दूर मीलों दूर किस्सों के फ़ैले किनारों पर ख्वाबों की स्वपनिल मीनारों को रेत से ढांकता,छुपाता,कभी अंतिम विदाई के पलों सा एकटक देखता कभी उन यादों को बाँहें फैलाकर सीने मैं भींच लेता...कितना करुण और निरीह होता है वो पल जब हम होते हैं उनसे दूर।।
किसी कहानी के कोई किस्से मैं जब उनका जिक्र होता है तो सांसों का रोम रोम उस कहानी का गवाह बन जाता है,अब हम जीते भी हैं कि नहीं अब पता नहीं चलता है हमेँ जब से हुए हैं उनसे दूर...
©BINNY GAIROLA
#PoetInYou