BINNY GAIROLA

BINNY GAIROLA Lives in Dehradun, Uttarakhand, India

में मेरी दीवानगी और मेरे अल्फाज

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जिंदगी सब कुछ पीने का नाम है।दिन भर की मजदूरी और थकान के बाद जब मजदूरी देने के समय पैसे कल देंगे की बात पर मजदूर अपने बच्चों के अरमानों का कसैला घूंट पी जाता है।शाम को एक किलो आटा और आधा किलो टमाटर थैली में लटका कर जब वह पैदल घर जाता है,उसके धूल फांके निपोड़े होंठ उसके चेहरे की हंसी को पी जाते हैं। चौके में बर्तन मांजती उसकी पत्नी पति के हाथ पर लटकी थैली देखकर फिर आज भी निराशा का घूंट पी जाती है,पिता की आहट पाकर खिड़की से पिताजी के थैले पर नजर गढ़ाता बालक अपने रंगों का डब्बा और कूची न पाकर रुवांसा अपने ढलकते आंसुओं की वेदना को पी जाता है,और पिता अपनी जेब में हाथ डालकर सिक्कों को उलटता पलटता अपनी किस्मत को कोसता निराशा में डूबा हुवा बहुत कुछ पी जाता है।जिंदगी सब कुछ पीने का नाम है... ©BINNY GAIROLA

#विचार #लाइफ #sadak  जिंदगी सब कुछ पीने का नाम है।दिन भर की मजदूरी और थकान के बाद जब मजदूरी देने के समय पैसे कल देंगे की बात पर मजदूर अपने बच्चों के अरमानों का कसैला घूंट पी जाता है।शाम को एक किलो आटा और आधा किलो टमाटर थैली में लटका कर  जब वह पैदल घर जाता है,उसके धूल फांके निपोड़े होंठ उसके चेहरे की हंसी को पी जाते हैं। चौके में बर्तन मांजती उसकी पत्नी पति के हाथ पर लटकी थैली देखकर फिर आज भी निराशा का घूंट पी जाती है,पिता की आहट पाकर खिड़की से पिताजी के थैले पर नजर गढ़ाता बालक अपने रंगों का डब्बा और कूची न पाकर रुवांसा अपने ढलकते आंसुओं की वेदना को पी जाता है,और पिता अपनी जेब में हाथ डालकर सिक्कों को उलटता पलटता अपनी किस्मत को कोसता निराशा में डूबा हुवा बहुत कुछ पी जाता है।जिंदगी सब कुछ पीने का नाम है...

©BINNY GAIROLA

कल पर्यावरण दिवस पर लोगों ने फेसबुक,व्हाट्सएप्प, ट्विटर पर इतने पेड़ लगाए की सब जगह जंगल ही जंगल नजर आ रहा है और पूरे देश मैं जंगल राज हो गया है,वो तो पुराने जमाने मैं उगते होंगे मिट्टी मैं पेड़, बहुत पहले की बाते है ये तो अब तो मोबाइल का सीना चीर के उग रहे है पेड़ और फल फूल भी रहे है कल ही कि तो बात है कितने हरे भरे पेड़ों की प्रतियां सुबह सुबह मुझे भी सुभचिन्तकों ने गुड मॉर्निंग और सुभकामनाओं के साथ भेजी है,अब मैं इन्हें मोबाइल रूपी बगीचे से निकल कर इस ऊसर बंजर धरती पे लगाऊंगा नहीं भी उगेंगे तो क्या हुआ हमारे पास पर्णपाती, उष्ण कटिबंधीय, अल्पाइन और भी कहीं तरह के वनों का भंडार है मोबाइल मैं,अब इस धरती को पेड़ों से लहलहाने से कोई नहीं रोक सकता है,जल्द ही दूसरे ग्रह के प्राणी भी हमसे ऑक्सीजन उधार लेने के लिए हमारे पास आएंगे,और हम उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देंगे हम उन्हें ज्ञान भी देंगे कि कैसे पर पेड़ों को उगाया जाता है। ©BINNY GAIROLA

#droplets  कल पर्यावरण दिवस पर लोगों ने फेसबुक,व्हाट्सएप्प, 
ट्विटर पर इतने पेड़ लगाए की सब जगह जंगल ही 
जंगल नजर आ रहा है और पूरे देश मैं जंगल राज हो 
गया है,वो तो पुराने जमाने मैं उगते होंगे मिट्टी मैं पेड़, 
बहुत पहले की बाते है ये तो अब तो मोबाइल का सीना 
चीर के उग रहे है पेड़ और फल फूल भी रहे है कल ही 
कि तो बात है कितने हरे भरे पेड़ों की प्रतियां सुबह सुबह
 मुझे भी सुभचिन्तकों ने गुड मॉर्निंग और सुभकामनाओं 
के साथ भेजी है,अब मैं इन्हें मोबाइल रूपी बगीचे से 
निकल कर इस ऊसर बंजर धरती पे लगाऊंगा नहीं भी 
उगेंगे तो क्या हुआ हमारे पास पर्णपाती, उष्ण कटिबंधीय,
अल्पाइन और भी कहीं तरह के वनों का
 भंडार है मोबाइल मैं,अब इस धरती को पेड़ों से लहलहाने 
से कोई नहीं रोक सकता है,जल्द ही दूसरे ग्रह के प्राणी 
भी हमसे ऑक्सीजन उधार लेने के लिए हमारे पास
 आएंगे,और हम उन्हें सिर्फ ऑक्सीजन ही नहीं देंगे 
हम उन्हें  ज्ञान भी देंगे कि कैसे पर पेड़ों को उगाया जाता है।

©BINNY GAIROLA

#droplets

12 Love

इस चाँद मैं सभी अपने प्यार के सपने देखते हैं,अपने प्यार की सूरत देखते हैं,ये ही तो सोचते हैं सब पर सच कहूँ तो मैं नहीं सोच पाया...मुझे तुम्हारा प्यार इस चाँद के जैसा नहीं चाहिए, मैं तुम्हे चाँद सा नहीं देखता हूँ और न तुम्हे चाँद मैं ढूंढता हूं,मुझे तुम्हारा ये चाँद सा दो पहलुओं मैं बंटा प्यार नही चाहिए,घटता बढ़ता प्यार कभी घोर तिमिर की अमावस रात मैं छाया अंधेरा तो कभी पूरनमासी सा चमचमाता सरोबार उजाला,मुझे ऐसा घटता बढ़ता प्यार नहीं चाहिए जो कभी जीवन मैं खुशियों की बेमौसम बहार ले आये और कभी होंठों पे उदासी का बसंत खिला दे, मुझे तुम्हारा प्यार ध्रुव तारे सा एक समान चाहिए एक जैसा स्थिर,समान,चिर,निरंतर सा..जो सुख दुख,हर परिस्थिति मैं एक सा चमकता रहे जिसमैं ना स्तिथि का अंतर आये न प्रभाव का,जो जीवन के हर पहलू पर समान बरसे....तो तुम बन जाना मेरे लिए ध्रुव तारा,मैं अपनी दिशाओं को खोकर तुम्हें उत्तर दिशा मैं ढूंढता रहूँगा,मैं तुम्हे ढूंढूंगा उसी जगह जहां तुम असंख्य तारों के बीच मेरी आँखों पे चमक बिखेरोगे,जहाँ तुम्हारा अस्तित्व है,हर पल और विपल मैं तुम्हे देखता रहूंगा उसी नजर से,चाहूंगा उसी शिद्दत से जिस शिद्दत से तुम्हे चमकना है हर अंधेरी रात मैं उत्तर दिशा मैं....अंबे शिवम🙏 ©BINNY GAIROLA

#Rose  इस चाँद मैं सभी अपने प्यार के सपने देखते हैं,अपने प्यार की सूरत देखते हैं,ये ही तो सोचते हैं सब पर सच कहूँ तो मैं नहीं सोच पाया...मुझे तुम्हारा प्यार इस चाँद के जैसा नहीं चाहिए, मैं तुम्हे चाँद सा नहीं देखता हूँ और न तुम्हे चाँद मैं ढूंढता हूं,मुझे तुम्हारा ये चाँद सा दो पहलुओं मैं बंटा प्यार नही चाहिए,घटता बढ़ता प्यार कभी घोर तिमिर की अमावस रात मैं छाया अंधेरा तो कभी पूरनमासी सा चमचमाता सरोबार उजाला,मुझे ऐसा घटता बढ़ता प्यार नहीं चाहिए जो कभी जीवन मैं खुशियों की बेमौसम बहार ले आये और कभी होंठों पे उदासी का बसंत खिला दे, मुझे तुम्हारा प्यार ध्रुव तारे सा एक समान चाहिए एक जैसा स्थिर,समान,चिर,निरंतर सा..जो सुख दुख,हर परिस्थिति मैं एक सा चमकता रहे जिसमैं ना स्तिथि का अंतर आये न प्रभाव का,जो जीवन के हर पहलू पर समान बरसे....तो तुम बन जाना मेरे लिए ध्रुव तारा,मैं अपनी दिशाओं को खोकर तुम्हें उत्तर दिशा मैं ढूंढता रहूँगा,मैं तुम्हे ढूंढूंगा उसी जगह जहां तुम असंख्य तारों के बीच मेरी आँखों पे चमक बिखेरोगे,जहाँ तुम्हारा अस्तित्व है,हर पल और विपल मैं तुम्हे देखता रहूंगा उसी नजर से,चाहूंगा उसी शिद्दत से जिस शिद्दत से तुम्हे चमकना है हर अंधेरी रात मैं उत्तर दिशा मैं....अंबे शिवम🙏

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#Rose

12 Love

उनसे दूर उनसे दूर मीलों दूर किस्सों के फ़ैले किनारों पर ख्वाबों की स्वपनिल मीनारों को रेत से ढांकता,छुपाता,कभी अंतिम विदाई के पलों सा एकटक देखता कभी उन यादों को बाँहें फैलाकर सीने मैं भींच लेता...कितना करुण और निरीह होता है वो पल जब हम होते हैं उनसे दूर।। किसी कहानी के कोई किस्से मैं जब उनका जिक्र होता है तो सांसों का रोम रोम उस कहानी का गवाह बन जाता है,अब हम जीते भी हैं कि नहीं अब पता नहीं चलता है हमेँ जब से हुए हैं उनसे दूर... ©BINNY GAIROLA

#PoetInYou  उनसे दूर उनसे दूर मीलों दूर किस्सों के फ़ैले किनारों पर ख्वाबों की स्वपनिल  मीनारों को रेत से ढांकता,छुपाता,कभी अंतिम विदाई के पलों सा एकटक देखता कभी उन यादों को बाँहें फैलाकर सीने मैं भींच लेता...कितना करुण और निरीह होता है वो  पल जब हम होते हैं उनसे दूर।।
किसी कहानी के कोई किस्से मैं जब उनका जिक्र होता है तो सांसों का रोम रोम उस कहानी का गवाह बन जाता है,अब हम जीते भी हैं कि नहीं अब पता नहीं चलता है हमेँ  जब से हुए हैं उनसे दूर...

©BINNY GAIROLA

#PoetInYou

16 Love

कोई बड़ी चाहत नहीं है मेरी,तुम्हारे ख्वाब मैं आकर एक बार तुम्हारा बन जाऊं,बस उस सपने को हकीकत मैं बदल के इस जिंदगी का गुजर कर जाऊं...तुम्हारी गर्म सांसों मैं जल के राख बन जाऊं पर मेरा वजूद ही तब है जो मैं तेरे कुछ भी काम आ पाऊँ।। ©BINNY GAIROLA

#standAlone  कोई बड़ी चाहत नहीं है मेरी,तुम्हारे ख्वाब मैं आकर एक बार तुम्हारा बन जाऊं,बस उस सपने को हकीकत मैं बदल के इस जिंदगी का गुजर कर जाऊं...तुम्हारी गर्म सांसों मैं जल के राख बन जाऊं पर मेरा वजूद ही तब है जो मैं तेरे कुछ भी काम आ पाऊँ।।

©BINNY GAIROLA

जाने क्या क्या दिखता है अब मुझे खिड़कियों से,कभी दिखता है तुम्हारे हाथों पर रखा मेरा हाथ और कभी झुरमुट में गुमसुम तुम्हारी नजरों मैं तैरता मेरा बेचैन कुबुलता सा मन... पहले तो इन खिड़कियों से चाँद और सितारों की दुनिया दिखती थी अब चाँद और सितारों के बीच तुम्हे ढूंढता रहता हूं उल्कापिंड सा, जाने क्या क्या दिखता है मुझे इन खिड़कियों से।।।। ©BINNY GAIROLA

#rayofhope  जाने क्या क्या दिखता है अब मुझे खिड़कियों से,कभी दिखता है तुम्हारे हाथों पर रखा मेरा हाथ और कभी झुरमुट में गुमसुम तुम्हारी नजरों मैं तैरता मेरा बेचैन कुबुलता सा मन...
पहले तो इन खिड़कियों से चाँद और सितारों की दुनिया दिखती थी अब चाँद और सितारों के बीच तुम्हे ढूंढता रहता हूं उल्कापिंड सा,
जाने क्या क्या दिखता है मुझे इन खिड़कियों से।।।।

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#rayofhope

15 Love

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