मेरी कलम लिखना नहीं आग उगलना जानती है मेरी आंखें प

"मेरी कलम लिखना नहीं आग उगलना जानती है मेरी आंखें पढना नहीं शूर वीरों की गाथाएं गढना जानती है मेरी जीभा बोलना नहीं सत्य असत्य को बराबर तौलना जनती है वीर रस का कवी हूँ साहब बस तभी मेरी कविता किसी गांधी को नहीं वीर हिन्दू सपूत नाथूराम गोडसे को मानती है"

 मेरी कलम लिखना नहीं
आग उगलना जानती है
मेरी आंखें पढना नहीं
शूर वीरों की गाथाएं गढना जानती है
मेरी जीभा बोलना नहीं
सत्य असत्य को बराबर तौलना जनती है
वीर रस का कवी हूँ साहब
बस तभी मेरी कविता किसी गांधी को नहीं
वीर हिन्दू सपूत नाथूराम गोडसे को मानती है

मेरी कलम लिखना नहीं आग उगलना जानती है मेरी आंखें पढना नहीं शूर वीरों की गाथाएं गढना जानती है मेरी जीभा बोलना नहीं सत्य असत्य को बराबर तौलना जनती है वीर रस का कवी हूँ साहब बस तभी मेरी कविता किसी गांधी को नहीं वीर हिन्दू सपूत नाथूराम गोडसे को मानती है

जय जय सनातन

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