White तू सोचता है कि दुनिया ने दिया क्या है !
किसी ने ताउम्र तेरे वास्ते, किया क्या है !
चाहत तो पाल रखी है हर चीज़ पाने की,
मगर दुनिया के वास्ते तूने किया क्या है !
मुफ़्त में ही नाम और सौहरत तो चाहिए,
आखिर कमाल ऐसा तुमने किया क्या है !
तेरी दौलत भी तो मिल्कियत है ख़ुदा की,
फिर भी कहता है कि हमने लिया क्या है !
ज़रा सा चैन से भी जीना सीखलो "मिश्र",
वर्ना तो खुदा पूछेगा कि तूने जिया क्या है
©tcp
कविता संग्रह