White किसी रात कोई सितारा टूटे और गिर जाए ,
या कभी राह चलते तू ही सामने आ जाए ;
एक आवाज आनी है कि रुक के देख लूं ,
मगर ज़मीर ना मानेगा कि तुझे देखा जाए ;
तुम चमकना चाहते थे बस दूसरो के नज़रों में ,
तो क्यों ना तुमको नज़रों से उतारा जाए ;
बुज़ुर्ग कहते भी हैं कि वफ़ा औरत का श्रृंगार है ,
तो क्यों ना तुमको विधवा ही कहा जाए ;
तारिफ़ें तो बहुत ज़्यादा की थी तुमने मेरी ,
तुम्हारे कौन से झूठ को सच माना जाए ;
मुझे अब डर है जिंदगी में चोरों का ,
क्यों अब घर का दरवाजा खुला छोड़ा जाए....
©Vibhu Karn
फिर किसी पर भरोसा क्यों करना अब??
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