कोमल (दोहे)
कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान।
कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।।
बालक सम व्यवहार हो, नहीं कपट के पास।
कोमल वाणी भी रहे, जगह बनाता खास।।
वे ही उसको चाहते, जिनके ह्रदय समान।
कोमलता का राज हो, जाने सकल जहान।।
कोमल जिसका आचरण, मिले उसे सम्मान।
ईश्वर का वह लाड़ला, उसका रखते ध्यान।।
जिसने पाया ईश को, उसे मिला वरदान।
कोमलता के साथ ही, उसे मिली पहचान।।
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देवेश दीक्षित
©Devesh Dixit
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कोमल (दोहे)
कोमल हिय को जानिये, ईश्वर का वरदान।
कहती है सद्भावना, उस सा नहीं महान।।
बालक सम व्यवहार हो, नहीं कपट के पास।