वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है, य | हिंदी विचार

"वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है, या उसे दर्द नही होता... उसे भी दिल करता है, फुट-फुट कर रोने का... अपने दर्द को कम करने का... पर वो रो ही नहीं सकता.... उसकी जाति उसे इजाजत नहीं देती.... उसके आंखों के आंसू उसके जाती पर प्रश्न खड़ा करते है, और वो नही तैयार इस समझौते के लिए, चाहे वो कितना भी दर्द में क्यों ना हो, अकेले में भी डरता है, कहीं उसके बहते हुए आंसू कोई देख न ले। और लगा दे धब्बा उसके जाती पर बुझदिल का... और यही सोच उसके आंखों में आये हुए आँसू को पी लेता है, और उसका दर्द दिल के एक कोने में जमा होते-2 एक पोटली बना लेता है.. और कभी वही दर्द इतना असहनीय होता है कि खुली हवा की चाह में, उसकी इजाजत के बगैर दिल से निकलते-2 एक असहनीय पीड़ा के साथ उसकी जीवनलीला समाप्त कर बाहर निकल जाती है। और फिर रह जाती बस उसकी मृतप्राय शरीर... और उन लोगो की बातें, जो कि उसे सिखाये थे... "लड़के कभी रोते नही है" और वो बना लिया था इस वाक्य को अपने पुरूष जाति का गौरव... जो कि उसके रोने से मैला हो जाता... अतः वो स्वीकार कर लिया दर्द सहना अपनी जिंदगी की कीमत लगा।। आखिर है तो वो एक पुरूष... और पुरूष कभी रोते नही..."

 वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है,
या उसे दर्द नही होता...
उसे भी दिल करता है, फुट-फुट कर रोने का...
अपने दर्द को कम करने का...
पर वो रो ही नहीं सकता.... उसकी जाति उसे इजाजत नहीं देती....
उसके आंखों के आंसू  उसके जाती पर प्रश्न खड़ा करते है,
और वो नही तैयार इस समझौते के लिए,
चाहे वो कितना भी दर्द में क्यों ना हो, अकेले में भी डरता है, कहीं उसके बहते हुए आंसू कोई देख न ले।
और लगा दे धब्बा उसके जाती पर बुझदिल का...
और यही सोच उसके आंखों में आये हुए आँसू को पी लेता है, और उसका दर्द दिल के एक कोने में जमा होते-2 एक पोटली बना लेता है..
और कभी वही दर्द इतना असहनीय होता है कि खुली हवा की चाह में, उसकी इजाजत के बगैर दिल से निकलते-2 एक असहनीय पीड़ा के साथ उसकी जीवनलीला समाप्त कर बाहर निकल जाती है।
और फिर रह जाती बस उसकी मृतप्राय शरीर...
और उन लोगो की बातें, जो कि उसे सिखाये थे... "लड़के कभी रोते नही है"
और वो बना लिया था इस वाक्य को अपने पुरूष जाति का गौरव...
जो कि उसके रोने से मैला हो जाता...
अतः वो स्वीकार कर लिया दर्द सहना अपनी जिंदगी की कीमत लगा।।
आखिर है तो वो एक पुरूष...
और पुरूष कभी रोते नही...

वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है, या उसे दर्द नही होता... उसे भी दिल करता है, फुट-फुट कर रोने का... अपने दर्द को कम करने का... पर वो रो ही नहीं सकता.... उसकी जाति उसे इजाजत नहीं देती.... उसके आंखों के आंसू उसके जाती पर प्रश्न खड़ा करते है, और वो नही तैयार इस समझौते के लिए, चाहे वो कितना भी दर्द में क्यों ना हो, अकेले में भी डरता है, कहीं उसके बहते हुए आंसू कोई देख न ले। और लगा दे धब्बा उसके जाती पर बुझदिल का... और यही सोच उसके आंखों में आये हुए आँसू को पी लेता है, और उसका दर्द दिल के एक कोने में जमा होते-2 एक पोटली बना लेता है.. और कभी वही दर्द इतना असहनीय होता है कि खुली हवा की चाह में, उसकी इजाजत के बगैर दिल से निकलते-2 एक असहनीय पीड़ा के साथ उसकी जीवनलीला समाप्त कर बाहर निकल जाती है। और फिर रह जाती बस उसकी मृतप्राय शरीर... और उन लोगो की बातें, जो कि उसे सिखाये थे... "लड़के कभी रोते नही है" और वो बना लिया था इस वाक्य को अपने पुरूष जाति का गौरव... जो कि उसके रोने से मैला हो जाता... अतः वो स्वीकार कर लिया दर्द सहना अपनी जिंदगी की कीमत लगा।। आखिर है तो वो एक पुरूष... और पुरूष कभी रोते नही...

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#NightPath

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