Nidhi Pandey

Nidhi Pandey

जो महसूस करती हूं, वही लिखती हूँ। हाल-ए-दिल शायरी में बयाँ करती हूं।😊🙏✍️

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वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है, या उसे दर्द नही होता... उसे भी दिल करता है, फुट-फुट कर रोने का... अपने दर्द को कम करने का... पर वो रो ही नहीं सकता.... उसकी जाति उसे इजाजत नहीं देती.... उसके आंखों के आंसू उसके जाती पर प्रश्न खड़ा करते है, और वो नही तैयार इस समझौते के लिए, चाहे वो कितना भी दर्द में क्यों ना हो, अकेले में भी डरता है, कहीं उसके बहते हुए आंसू कोई देख न ले। और लगा दे धब्बा उसके जाती पर बुझदिल का... और यही सोच उसके आंखों में आये हुए आँसू को पी लेता है, और उसका दर्द दिल के एक कोने में जमा होते-2 एक पोटली बना लेता है.. और कभी वही दर्द इतना असहनीय होता है कि खुली हवा की चाह में, उसकी इजाजत के बगैर दिल से निकलते-2 एक असहनीय पीड़ा के साथ उसकी जीवनलीला समाप्त कर बाहर निकल जाती है। और फिर रह जाती बस उसकी मृतप्राय शरीर... और उन लोगो की बातें, जो कि उसे सिखाये थे... "लड़के कभी रोते नही है" और वो बना लिया था इस वाक्य को अपने पुरूष जाति का गौरव... जो कि उसके रोने से मैला हो जाता... अतः वो स्वीकार कर लिया दर्द सहना अपनी जिंदगी की कीमत लगा।। आखिर है तो वो एक पुरूष... और पुरूष कभी रोते नही...

#DILL_KE_KALAM_SE #विचार #NightPath #boyslife  वो रोता नही है, तो ऐसा नहीं की वो बहुत मजबूत है,
या उसे दर्द नही होता...
उसे भी दिल करता है, फुट-फुट कर रोने का...
अपने दर्द को कम करने का...
पर वो रो ही नहीं सकता.... उसकी जाति उसे इजाजत नहीं देती....
उसके आंखों के आंसू  उसके जाती पर प्रश्न खड़ा करते है,
और वो नही तैयार इस समझौते के लिए,
चाहे वो कितना भी दर्द में क्यों ना हो, अकेले में भी डरता है, कहीं उसके बहते हुए आंसू कोई देख न ले।
और लगा दे धब्बा उसके जाती पर बुझदिल का...
और यही सोच उसके आंखों में आये हुए आँसू को पी लेता है, और उसका दर्द दिल के एक कोने में जमा होते-2 एक पोटली बना लेता है..
और कभी वही दर्द इतना असहनीय होता है कि खुली हवा की चाह में, उसकी इजाजत के बगैर दिल से निकलते-2 एक असहनीय पीड़ा के साथ उसकी जीवनलीला समाप्त कर बाहर निकल जाती है।
और फिर रह जाती बस उसकी मृतप्राय शरीर...
और उन लोगो की बातें, जो कि उसे सिखाये थे... "लड़के कभी रोते नही है"
और वो बना लिया था इस वाक्य को अपने पुरूष जाति का गौरव...
जो कि उसके रोने से मैला हो जाता...
अतः वो स्वीकार कर लिया दर्द सहना अपनी जिंदगी की कीमत लगा।।
आखिर है तो वो एक पुरूष...
और पुरूष कभी रोते नही...

जाने क्यों लड़कियों पर बचपन से ही पाबंदी लगायी जाती है, खेलने-कूदना लड़कियों के लिए नही बना है। उन्हें बस श्रृंगार करना और घर के काम करना सिखाया जाता है।। सबसे बड़ी वजह यही लड़कियों का कमजोर होना, वो खुद को ऐसी ही बना लेती है, खुद को कमजोर, निःसहाय, अबला समझ लेती है।। और कहते है न, हम जैसी सोच रखते है वैसे ही बन जाते है, बस यही वजह होता है। अगर बचपन से ही एक लड़की को इतना सिखाया जाए कि, वो भी वो सब कर सकती है, जो उसके भाई करते है, तो ना ही इतने घरेलू हिंसा के मामले आते, ना ही लड़कियां तेजाब से जलती, और ना ही किसीके हवस की शिकार होती।। पर जमाने की सोच को क्या कहें, वो लड़कियों को बस इतना समझते है, उन्हें सुंदर दिखना चाहिए, उन्हें घर के कामों में निपुण होना चाहिए।। उन्हें लोगो को रिझाने आना चाहिए। और यही बढ़ावा मिलता है, उनके पतन का। उन्हें निःसहाय बनाने का, उन्हें दूसरों की विचारों से चलने का।। इन्ही बातों से लड़कियां अपना वजूद भूल, अपनी आंतरिक सुंदरता बढ़ाने के बजाय, बाहरी सुंदरता को बनाने में लग जाती है।। उनका ध्यान संघर्ष से हट श्रृंगार में लग जाता है। लोगो को समझने से ज्यादा, लोगो को लुभाने में लग जाता है।। और यही श्रृंगार और सोच उसकी कमजोरी बन जाती है। कोई झूठी तारीफ भी कर दे, तो बस उसकी कायल हो जाती है।। उसका अपना पूरा ध्यान अपने अस्तित्व को पहचानने से हटकर, अपने को दूसरों के हिसाब से ढलने में लग जाता है। और यही शुरू होता है, उनकी अबला होने की कहानी, अप्सरा बनने की कहानी, भोग्या बनने का सफर। उसके कमजोर होने का सफर।।

#InspireThroughWriting #विचार #girlsquotes #Girlslife #girl  जाने क्यों लड़कियों पर बचपन से ही पाबंदी लगायी जाती है, खेलने-कूदना लड़कियों के लिए नही बना है।
उन्हें बस श्रृंगार करना और घर के काम करना सिखाया जाता है।।

सबसे बड़ी वजह यही लड़कियों का कमजोर होना, वो खुद को ऐसी ही बना लेती है, खुद को कमजोर, निःसहाय, अबला समझ लेती है।।

और कहते है न, हम जैसी सोच रखते है वैसे ही बन जाते है,
बस यही वजह होता है।

अगर बचपन से ही एक लड़की को इतना सिखाया जाए कि, वो भी वो सब कर सकती है, जो उसके भाई करते है, तो ना ही इतने घरेलू हिंसा के मामले आते, ना ही लड़कियां तेजाब से जलती, और ना ही किसीके हवस की शिकार होती।।

पर जमाने की सोच को क्या कहें, वो लड़कियों को बस इतना समझते है, उन्हें सुंदर दिखना चाहिए, उन्हें घर के कामों में निपुण होना चाहिए।।
उन्हें लोगो को रिझाने आना चाहिए।

और यही बढ़ावा मिलता है, उनके पतन का।
उन्हें निःसहाय बनाने का, उन्हें दूसरों की विचारों से चलने का।।

इन्ही बातों से लड़कियां अपना वजूद भूल, अपनी आंतरिक सुंदरता बढ़ाने के बजाय, बाहरी सुंदरता को बनाने में लग जाती है।।

उनका ध्यान संघर्ष से हट श्रृंगार में लग जाता है।
लोगो को समझने से ज्यादा, लोगो को लुभाने में लग जाता है।।
और यही श्रृंगार और सोच उसकी कमजोरी बन जाती है।
कोई झूठी तारीफ भी कर दे, तो बस उसकी कायल हो जाती है।।
उसका अपना पूरा ध्यान अपने अस्तित्व को पहचानने से हटकर, अपने को दूसरों के हिसाब से ढलने में लग जाता है।

और यही शुरू होता है, उनकी अबला होने की कहानी,
अप्सरा बनने की कहानी, भोग्या बनने का सफर।
उसके कमजोर होने का सफर।।

जाने क्यों लड़कियों पर बचपन से ही पाबंदी लगायी जाती है, खेलने-कूदना लड़कियों के लिए नही बना है। उन्हें बस श्रृंगार करना और घर के काम करना सिखाया जाता है।। सबसे बड़ी वजह यही लड़कियों का कमजोर होना, वो खुद को ऐसी ही बना लेती है, खुद को कमजोर, निःसहाय, अबला समझ लेती है।। और कहते है न, हम जैसी सोच रखते है वैसे ही बन जाते है, बस यही वजह होता है। अगर बचपन से ही एक लड़की को इतना सिखाया जाए कि, वो भी वो सब कर सकती है, जो उसके भाई करते है, तो ना ही इतने घरेलू हिंसा के मामले आते, ना ही लड़कियां तेजाब से जलती, और ना ही किसीके हवस की शिकार होती।। पर जमाने की सोच को क्या कहें, वो लड़कियों को बस इतना समझते है, उन्हें सुंदर दिखना चाहिए, उन्हें घर के कामों में निपुण होना चाहिए।। उन्हें लोगो को रिझाने आना चाहिए। और यही बढ़ावा मिलता है, उनके पतन का। उन्हें निःसहाय बनाने का, उन्हें दूसरों की विचारों से चलने का।। इन्ही बातों से लड़कियां अपना वजूद भूल, अपनी आंतरिक सुंदरता बढ़ाने के बजाय, बाहरी सुंदरता को बनाने में लग जाती है।। उनका ध्यान संघर्ष से हट श्रृंगार में लग जाता है। लोगो को समझने से ज्यादा, लोगो को लुभाने में लग जाता है।। और यही श्रृंगार और सोच उसकी कमजोरी बन जाती है। कोई झूठी तारीफ भी कर दे, तो बस उसकी कायल हो जाती है।। उसका अपना पूरा ध्यान अपने अस्तित्व को पहचानने से हटकर, अपने को दूसरों के हिसाब से ढलने में लग जाता है। और यही शुरू होता है, उनकी अबला होने की कहानी, अप्सरा बनने की कहानी, भोग्या बनने का सफर। उसके कमजोर होने का सफर।।

#InspireThroughWriting #विचार #Motivational #hindi_poetry #Girlslife  जाने क्यों लड़कियों पर बचपन से ही पाबंदी लगायी जाती है, खेलने-कूदना लड़कियों के लिए नही बना है।
उन्हें बस श्रृंगार करना और घर के काम करना सिखाया जाता है।।

सबसे बड़ी वजह यही लड़कियों का कमजोर होना, वो खुद को ऐसी ही बना लेती है, खुद को कमजोर, निःसहाय, अबला समझ लेती है।।

और कहते है न, हम जैसी सोच रखते है वैसे ही बन जाते है,
बस यही वजह होता है।

अगर बचपन से ही एक लड़की को इतना सिखाया जाए कि, वो भी वो सब कर सकती है, जो उसके भाई करते है, तो ना ही इतने घरेलू हिंसा के मामले आते, ना ही लड़कियां तेजाब से जलती, और ना ही किसीके हवस की शिकार होती।।

पर जमाने की सोच को क्या कहें, वो लड़कियों को बस इतना समझते है, उन्हें सुंदर दिखना चाहिए, उन्हें घर के कामों में निपुण होना चाहिए।।
उन्हें लोगो को रिझाने आना चाहिए।

और यही बढ़ावा मिलता है, उनके पतन का।
उन्हें निःसहाय बनाने का, उन्हें दूसरों की विचारों से चलने का।।

इन्ही बातों से लड़कियां अपना वजूद भूल, अपनी आंतरिक सुंदरता बढ़ाने के बजाय, बाहरी सुंदरता को बनाने में लग जाती है।।

उनका ध्यान संघर्ष से हट श्रृंगार में लग जाता है।
लोगो को समझने से ज्यादा, लोगो को लुभाने में लग जाता है।।
और यही श्रृंगार और सोच उसकी कमजोरी बन जाती है।
कोई झूठी तारीफ भी कर दे, तो बस उसकी कायल हो जाती है।।
उसका अपना पूरा ध्यान अपने अस्तित्व को पहचानने से हटकर, अपने को दूसरों के हिसाब से ढलने में लग जाता है।

और यही शुरू होता है, उनकी अबला होने की कहानी,
अप्सरा बनने की कहानी, भोग्या बनने का सफर।
उसके कमजोर होने का सफर।।
#शायरी #HumBolenge #dilkibaat #shayri #alfaz  हँसती रहती हूं तो, ऐसा नहीं कि दर्द नही,
सहती रहती हूं, तो ऐसा नहीं कि गम नही,
बहुत कुछ छुपा के रखती हूं, इस छोटे से दिल मे,
क्योंकि उदासी जाहिर करने वालों में हम नही।

#HumBolenge #dilkibaat #alfaz #shayri @Lalit kumar @Kittu @Nidhi singh ठाकुर साक्षी राघव

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#lovebeat  निधि ✍️ ✍️

#lovebeat

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अजीब दास्ताँ है इस मोहब्बत की भी- अजीब दास्ताँ है इस मोहब्बत की भी, टूट कर चाहो, तो टूट कर बिखरना पड़ता है।

#शायरी #dil_ki_baaten #shayri #river #alfaz  अजीब दास्ताँ है इस मोहब्बत की भी- अजीब दास्ताँ है इस मोहब्बत की भी,
 टूट कर चाहो,
तो टूट कर बिखरना पड़ता है।
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