उलझे हुए हैं सब लावण्य में ,
कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ ,
सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में ,
ले लूं सारी उलझन उसकी ,
जो उलझे सच्ची मुझसे ,
सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के ,
पर कोई उलझे तो मुझसी उलझन से ।
साक्षी सोनी ।
©Sakshi
उलझे हुए हैं सब लावण्य में ,
कोई मेरी सादगी में उलझे तो मैं सोचूँ ,
सोचूँ कोई उलझे मेरे किरदार में ,
ले लूं सारी उलझन उसकी ,
जो उलझे सच्ची मुझसे ,
सुलझा दूं उसको खुद को उलझा के ,