की
मचौले ईक दूजे से कैसे करे
दिल को तसल्ली कैसे मिले
प्यासी है निगाहे दीदार को उनसे
अब हीर से रांझा कैसे मिले
,दिल में मिलन की लहर उठी है
पतंगे लेकर छत पे चढ़ी है
मजनू आसमां सब ताक रहे है
जब से लैला की पतंग उड़ी है
,फूल खिले सब कली खिली
नज़रे दो से दो चार मिली
चरखी ऐसे पकड़े है सलीम
जैसे उड़ाए पतंग अनारकली
,सबके ईश्क की दाल गले
ना कभी किसी को हार मिले
ऐसे मिला दे सबको रबा
जैसे सोनी को महिवाल मिले
©Ajay kumar jabdoliya
#makarsankranti with शायर गुमनाम #💖