बस इन्ही ढलती हुई शामों ने, हम चिरागों को अया बख् | हिंदी शायरी

"बस इन्ही ढलती हुई शामों ने, हम चिरागों को अया बख्शी है। रिज़वी ©Shakl e Alfaaz Writes"

 बस इन्ही ढलती हुई शामों ने,

हम चिरागों को अया बख्शी है।



रिज़वी

©Shakl e Alfaaz Writes

बस इन्ही ढलती हुई शामों ने, हम चिरागों को अया बख्शी है। रिज़वी ©Shakl e Alfaaz Writes

People who shared love close

More like this

Trending Topic