राहें जो छूट गई, अब उनका गम न कर। पीछे यूं मुड़ म | हिंदी Poetry

"राहें जो छूट गई, अब उनका गम न कर। पीछे यूं मुड़ मुड़ कर, रफ्तार अपनी कम न कर। मोड़ जो तूने न लिए, ना मुड़ना तेरा तय ही था। जहां आकर आज तू खड़ा है, यहां होना तेरा तय ही था। ©सम्राठ"

 राहें जो छूट गई, 
अब उनका गम न कर।
पीछे यूं मुड़ मुड़ कर, 
रफ्तार अपनी कम न कर।
मोड़ जो तूने न लिए, 
ना मुड़ना तेरा तय ही था।
जहां आकर आज तू खड़ा है,
यहां होना तेरा तय ही था।

©सम्राठ

राहें जो छूट गई, अब उनका गम न कर। पीछे यूं मुड़ मुड़ कर, रफ्तार अपनी कम न कर। मोड़ जो तूने न लिए, ना मुड़ना तेरा तय ही था। जहां आकर आज तू खड़ा है, यहां होना तेरा तय ही था। ©सम्राठ

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