तुम जब मुझे देखते हो
तुम्हारी आंखों में मैं, ख़ुद को देखती हूं
खुश, आज़ाद, बेखबर
समन्दर में मिलती, नदी देखती हूं
समेट लिया हो जैसे तुमने
तुम्हारी आंखों में मेरी दुनिया सिमटती देखती हूं
झपकती नहीं जब ये पलकें
गालों पर पिघलते ग़म देखती हूं
एक टक देखते हो मुझे
अश्कों पर तैरते मेरे ख्वाब देखती हूं
अब झुकाना ना पलकें
मैं ताउम्र ख़ुद को यहीं देखती हूं
©Surabhi
❤️
#together